हिंद से ये हिंदी बनी है
और हिंद से हुआ
हिंदुस्तान का निर्माण!
हिंदी से है हमारी पहचान !
हिंदी है साहित्य का श्रृंगार!
हिंदी में बसती है साहित्यकारों की जान
हिंदी साहित्य में लगाती चार चांद!
हिंदी के महाकवियों से मिली
हमें इक नई पहचान!
हिंदी ने गढ़ा खूबसूरत महाकाव्य !
हिंदी से होता अपनत्व का एहसास!
आत्मा है हिंदी जिस्म है हिंदुस्तान!
हिंदी के बिना अधूरा हिंदुस्तान!
हिंदी से हुई क्रांति की शुरुआत!
हिंदी है हमारे संस्कृति की पहचान!
हिंदी है हिंदुस्तान का स्वाभिमान!
भले ही अन्य भाषाओं का आज
हो रहा इस्तेमाल!
किन्तु हिंदी आज भी करती है
हर हिंदुस्तानी के दिल पर राज!
हिंदी से ही बनेगा विश्व गुरु हिंदुस्तान!
हिंदी मात्र भाषा नहीं,
ये है हमारी संस्कृति और संस्कार !
हिंदी है हिंदुस्तान की
आन बान और शान!
हिंदी पर करता है,
हर हिन्दुस्तानी नाज!
एक कुंडलियां तुम्हारे सुंदर, सारगर्भित रचना को समर्पित 💐💐
जवाब देंहटाएंहिंदी भाषा में छुपा, भाषा का विज्ञान।
दे सकती ये विश्व को, कंप्यूटर सा ज्ञान।।
कंप्यूटर सा ज्ञान, सहज सहगामी बनकर ।
हिंदी का विज्ञान, समझ आए गर ।।
कह जिज्ञासा आज, बड़ी हिंदी से आशा ।
सरस,सरल संवाद, सहेजें हिंदी भाषा ।।...
हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई प्रिय मनीषा 💐💐
इतनी बेहतरीन प्रतिक्रिया के लिए आपका आभार कैसे व्यक्त करूं समझ नहीं आ रहा! शब्द कम पड़ रहे हैं आपका आभार व्यक्त करने के लिए!
हटाएंफिर भी मेरा हौसला बढ़ाने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया🙏
वाह!प्रिय मनीषा जी सराहनीय सृजन किया आपने विश्व हिंदी दिवस सर।
जवाब देंहटाएंढेरों शुभकामनाएँ आपको।
सादर स्नेह
बहुत-बहुत धन्यवाद प्रिय मैम आपको भी हिंदी दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं 💐🙏
हटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (११-०१ -२०२२ ) को
'जात न पूछो लिखने वालों की'( चर्चा अंक -४३०६) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
मेरी रचना को चर्चामंच में शामिल करने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया🙏
हटाएंबहुत ख़ूब मनीषा !
जवाब देंहटाएंअभी हिंदी को मान-सम्मान दिलाने के लिए हमको-तुमको और भी बहुत कुछ करना है.
हां सर आप बिल्कुल सही कह रहे हैं हम सबको अभी बहुत कुछ करना है हिंदी को मान और सम्मान दिलाने के लिए! सबसे अधिक तो जरूरी है कि हमारे देश में सभी कोर्स हिंदी में उपलब्ध होने चाहिए जिससे हिंदी को अधिक ऊंचाइयों तक ले जाया जा सके !
हटाएंप्रतिक्रिया के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद🙏
बेहतरीन रचना मनीषा जी।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आदरणीय🙏
हटाएंबहुत सुंदर सहज मन के भाव हिन्दी के सम्मान में, जैसे हिन्दी आत्मा है साहित्यकार शरीर, जो अपनी आत्मा को ऊंचाई तक ले जाना चाहता है।
जवाब देंहटाएंमनीषा जी आप जैसे युवा वर्ग हिन्दी उत्थान में कमर कस लें तो हमारी भाषा का भविष्य उज्जवल है ।
सुंदर भाव सुंदर सृजन।
सस्नेह हिन्दी दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं।
आपका तहे दिल से बहुत-बहुत धन्यवाद! 🙏
हटाएंमेरी पूरी कोशिश रहेगी अपनी मातृभाषा को बुलंदियों तक ले जाने की!
हिंदी के प्रति सुंदर भाव ।
जवाब देंहटाएंरचना बहुत अच्छी लगी । एक बात कहना चाहूँगी कि हिंदी से हिन्द नहीं बल्कि हिन्द से हिंदी कहलाई । और ये हिन्द भी अपभ्रंश शब्द है । सिंधु से सिंध और फिर हिन्द हो गया ।
हां मैम आप सही कह रही, मैंने सुधार कर लिया
हटाएंमेरी लेखनी को सुधारने के लिए आपका तहे दिल से बहुत-बहुत धन्यवाद🙏
बहुत अच्छे, मनीषा जी!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आदरणीय🙏
हटाएंबहुत सुंदर, हिंदी है पहचान हमारी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आदरणीय🙏
हटाएंमनीषा जी सराहनीय सृजन किया आपने हिंदी के प्रति सुंदर भाव ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आदरणीय🙏
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