गुरुवार, जनवरी 13, 2022

सूर्य सा जलकर सूर्य सा चमकना है

ये हवाएं जो इतरा रहीं है 
ये सोच कर कि इक झोंके से
मेरे हौसले उड़ा ले जाएगीं|
पर इन्हें कहाँ मालूम कि
ये मुझे तूफानों से लड़ने के 
काबिल बना जाएगीं! 
ये चिंगारियाँ जो 
मुझे जला कर लाल लाल 
आंखें दिखा रहीं हैं, 
इन्हें बता दे कोई कि
ये मुझे सुलगते अंगारों पर 
चलने के काबिल बना रहीं हैं|
ये काँटे मुझे थोड़ा सा जख्म दे कर 
बहुत ही गर्वान्वित हो रहें हैं, 
बेचारे को कहाँ मालूम कि
मैं खंजर के वार को सह सकूँ 
उतना मजबूत बना रहें हैं|
ये लोग जो मेरा साथ छोड़ कर
खुश हो रहें हैं, 
कोई जा के बताए 
इन लोगों को कि, 
ये मुझे अकेला नहीं बल्कि 
मुझे, खुद से मिलने का अवसर दे रहें हैं|
ये लोग जो मेरी असफलताओं पर
मेरा अपमान व उपहास कर रहें हैं
इन्हें नहीं पता कि, 
यही लोग भविष्य में मेरे सम्मान का 
कारण बनने जा रहें हैं|
इनके व्यंग्यों के चुभते बाण , 
            मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहें हैं|

                               -तस्वीर गूगल साभार से 

34 टिप्‍पणियां:

  1. वाह ...... कोई इन सबको बताए कि नादान हो तुम कि सोचते हो हमारी मनीषा टूट जाएगी ..... नहीं जानते कि कष्टों से और मजबूत हो कर बुलंदी को छू लेगी ।
    जीवन के प्रति सकारात्मक भाव लिए बेहतरीन रचना ।

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    1. मैं आपकी इस प्रतिक्रिया के लिए शब्दों में आभार व्यक्त नहीं कर सकती!मुझे कितनी खुशी और कितनी ताकत मिली है इस प्रतिक्रिया से यह बता पाना बहुत ही मुश्किल है मेरे लिए! बस इतना कह सकते हैं,इस प्रतिक्रिया से ऐसा लग रहा है जैसे एक मां अपनी बेटी को दुनिया से लड़ने के लिए हिम्मत दे रही हो....! आप सभी लोग एक परिवार की तरह लगते हो कभी-कभी मैं सोचता हूं कहीं मैं गलत रास्ते पर तो नहीं जा रही हूं पर जब भी आप लोगों को देखती हूं यकीन हो जाता है मुझे कि मैं कभी भी गलत रास्ते पर नहीं जा सकती हूं जब तक आप लोगों के बीच में हूं!क्योंकि आप लोग मुझसे कहीं ज्यादा अनुभवी और ज्ञानी हैं!तो....🤗❤❤

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  2. सारी विसंगतियाँ सारी असफलताएं और बाधाएँ हमें और मजबूत बनाती हैं वशर्ते विचरों में सकारात्मकता हो त़...
    सुन्दर संदेशप्रद लाजवाब सृजन
    वाह!!!

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    1. आपकी इस बहुमूल्य प्रतिक्रिया के लिए आपका तहेदिल आभार🙏
      आप लोगो से मुझे लिखते रहने की प्रेरणा मिलती है!

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  3. बहुत बहुत सुंदर ।
    हर विसंगति दृढ़ इंसान को और भी दृढ़ बनाती है, सही कहा आपने मनीषा जी हर चोट कुछ और मजबूत कर जाती है मुझ।
    अप्रतिम सृजन।

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    1. आप सबसे ही ये मजबूती मिलती है मुझे आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद🙏💕

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  4. मनीषा, लोगो का काम होता हक़ी बोलना। लेकिन मुझे पता है कि लोगों के व्यंग्यबाणों से तुम घबराने वाली नहीं हो। अपनी हिम्मत इसी तरह बनाये रखना। एक दिन अवश्य तुम्हारी सफलता से सबके मूंह बंद हो जाएंगे।

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    1. मेरा हौसला बढ़ाने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद
      आप लोगो के बीच रहते हुए मैं कभी हिम्मत नहीं हार सकती आप सब से मेरी हिम्मत है!जब तक मुंह तोड़ जवाब नहीं दे देती चैन नहीं सफलता रूपी तमाचा मारना बाकी है अभी
      🙏💕

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  5. वाह ! कितना मजबूत हौसला और हिम्मत का बेशकीमती जज्बा, ऐसी फितरत हो तो भला किस बात की फ़िक्र, प्रेरित करती हुई सुंदर रचना !

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    1. आपकी इस बहुमूल्य प्रतिक्रिया के लिए और मेरा हौसला बढ़ाने के लिए आपका तहेदिल से बहुत बहुत धन्यवाद🙏

      हटाएं
  6. वाह बहुत सुंदर और ओज से ओत प्रोत रचना।
    आपकी अभिव्यक्ति के समर्थन में-
    करते गर्जन घन सघन गगन,
    होता धरती का व्याकुल मन।
    आकुल अंधड़ प्रचंड पवन,
    नीड़ बनना और बिखरना क्या!

    चल पथिक, अभय अथक पथ पर,
    मन में घर डर यूँ करना क्या!

    करे वारिद वार धरा उर पर,
    तड़ित ताप, अहके अम्बर।
    आँखों में आंसू अवनि के
    निर्झर का झर झर झरना क्या!

    चल पथिक अभय अथक पथ पर,
    मन में घर डर यूं करना क्या!

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    1. आज इतने दिनों बाद आपको ब्लॉग पर देखकर बहुत ही प्रसन्नता हुई और आपकी ये शानदार प्रतिक्रिया ने मेरी प्रसन्नता को और अधिक बढ़ा दिया! मेरा हौसला बढ़ाने के लिए आपका तहेदिल आभार आदरणीय सर आप सब की प्रतिक्रिया बहुत मायने रखती है!🙏

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    2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  7. मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए आभार आदरणीय🙏

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  8. वाह मनीषा जी, ये लोग जो मेरी असफलताओं पर
    मेरा अपमान व उपहास कर रहें हैं
    इन्हें नहीं पता कि,
    यही लोग भविष्य मेरे सम्मान का
    कारण बनने जा रहें हैं|...बहुत खूबसूरत रचना...शानदार

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय मैम🙏🙏

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  9. बहुत अच्छी कविता मनीषा जी।मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं

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  10. बहुत ही सुन्दर रचना

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  11. वाह!प्रिय मनीषा जी सराहनीय सृजन।
    हौसले की उड़ान है यह।
    सादर

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    1. हृदय तल से बहुत बहुत धन्यवाद प्रिय मैम🙏🙏

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  12. ये हवाएं जो इतरा रहीं हैं
    ये सोच कर कि इक झोके से
    मेरे हौसले उड़ा ले जाएगी|
    पर इन्हें कहाँ मालूम कि
    ये मुझे तूफानों से लड़ने के काबिल बना जाएगी|
    ये चिंगारियाँ जो
    मुझे जला कर लाल लाल
    आंखें दिखा रहीं हैं,
    इन्हें बता दे कोई कि
    ये मुझे सुलगते अंगारों पर
    चलने के लिए तैयार कर रहीं हैं.. बहुत बढ़िया लिखा है प्रिय मनीषा..तुम्हारे लिए मेरी कुछ पंक्तियां ।

    आज़ पहली बार आज़ाद हुई मैं

    चली हूँ अपनी चाल जैसे ही
    वो कहते हैं अब तो बर्बाद हुई मैं
    उड़ रहे हैं पंख अब हवाओं में
    परिंदों का परवाज़ हुई मैं

    रोके कोई बेशक मुझे अब भी
    रुकेगी न उड़ान मेरी यारों
    साथ देंगे जमीं आसमाँ मेरा
    जोड़ करके सजा लूँगी मैं टूटे तारों

    देख लेना मुझे तुम आज़मा के
    अब न टूटेंगे ख़्वाब मेरे फिर
    कौन कहता है सज नहीं सकता
    हीरे मोती का ताज मेरे सिर

    बन भी जाए गर रहगुजर कोई
    तो आसमां भी थाम लेंगे हम
    मिला न साथ तो भी कोई बात नही
    राह कांटों में भी अपनी निकाल लेंगे हम

    यही वो बात है मुझमें जो
    सबसे जुदा करती है मुझको
    आसमां में भी एक सुराख
    जो दिखा सकती है सबको

    कभी अनजान थी मैं अपने और तुम्हारे से
    अब परिचय की नहीं मोहताज मैं
    रख दिया है कदम मैंने पहली सीढ़ी पे
    देखना हो के रहूंगी अब से कामयाब मैं

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    1. इतनी प्यारी और बहुमूल्य प्रतिक्रिया के लिए आपका तहे दिल से बहुत असंख्य धन्यवाद!आपकी प्रतिक्रिया बहुत मायने रखती है🙏🙏🙏
      सादर🙏🙏🙏

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  13. सकारात्मक भावों को पोषित करता दृढ़ संकल्प । सराहनीय सृजन ।

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  14. ये लोग जो मेरी असफलताओं पर
    मेरा अपमान व उपहास कर रहें हैं
    इन्हें नहीं पता कि,
    यही लोग भविष्य मेरे सम्मान का
    कारण बनने जा रहें हैं|
    उम्दा सृजन आदरणीय ।

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