तस्वीर गूगल से |
धूमिल- सा , बेरंग, बेनूर
और उदास हो जाएगा!!
कोई पंछी उड़ता हुआ,
नजर नहीं आएगा!!
ना ही बादलों का रंग
असंख्य मूर्तियां बनाएगा!!
रात में तारों की मौजूदगी का
कोई निशान नहीं रह जाएगा!!
ना हवाओं में शोर होगा,
और समंदर भी ठहर जाएगा!!
सूर्योदय से पूर्व
उषा की चुनरी का
चंपई अलोक नहीं रह जाएगा!!
आसमान की छाती में सुराख़ कर,
देवदार नहीं भूल पाएगा!!
आसमान की सांस लेने की
कोई आहट ना होगी!!
पहाड़ों की नोक में
चमकती बर्फ की परत ना होगी!!
बर्फ की आहों का घुट-घुटा धुआं
भी नजर नहीं आएगा!!
सूर्य की किरणों के चुभन से
सी-सी करती धरती का
स्वर हमेशा के लिए दब जाएगा!!
विज्ञान की दो धारी तलवार के
एक गलत वार से
मनुष्य एक दिन खुद को ही
कभी न भरने वाला घाव दे जाएगा!!
एक धमाके की आवाज के साथ
सन्नाटा पसर जाएगा!!
Right
जवाब देंहटाएं𝕿𝖍𝖆𝖓𝖐 𝖞𝖔𝖚😇
हटाएंसच कहा आपने। पता नहीं विनाशक या प्रकाशक है विज्ञान।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर
हटाएंकिसी भी चीज़ का सदुपयोग न करके दुरूपयोग करना मानव का स्वभाव बन गया है। यह बात विज्ञान के दुरूपयोग पर भी लागू है। आपके विचार सही हैं। वैसे भी विज्ञान के ग़लत इस्तेमाल से बहुत-से कभी न भरने वाले घाव तो इंसानियत के बदन पर आ ही चुके हैं
जवाब देंहटाएंहां सर आप बिल्कुल सही कह रहे हैं! प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
हटाएंहमारी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय मैम🙏
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जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २० अगस्त २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
मेरी रचना को 5 लिंको का आनंद में जगह देने के लिए आपका तहे दिल से बहुत-बहुत धन्यवाद मैम🙏
हटाएंसत्य कथन
जवाब देंहटाएंप्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद आदरणीय मैम!
हटाएंकोई चीज़ शाश्वत नहीं । फिर भी कुछ न कुछ नया रचा जाएगा । कहीं न कहीं कुछ नया पनप रहा होगा । कहीं अंत तो कहीं प्रारम्भ होता आया है ।
जवाब देंहटाएंहाँ मैम आप ठीक कह रहीं हैं अंत ही आरंभ है! आपका बहुत बहुत धन्यवाद🙏
हटाएंअद्भुत !
जवाब देंहटाएंमाना पुरा वृक्ष ढह जाएगा फिर भी कुछ मिट्टी में छिपा रह जाएगा। कुछ पल वर्ष सदियों बाद चीड़ छाती धरती का खुले गगन में वो फिर मुस्कुराएगा।
सुन्दर रचना ।
वाह! क्या पंक्ति कही बहुत ही उम्दा और बहुत सकारात्मक🔰
हटाएंधन्यवाद सर🙏
बहुत ही जरुरी और महत्वपूर्ण रचना है, गहनता के साथ शब्दों की तारतम्यता भी अच्छी है...। ऐसी ही रचनाएं हमें साहित्य और प्रकृति के प्रति जिम्मेदार बनाती हैं...। खूब बधाई
जवाब देंहटाएंआपका तहेदिल से धन्यवाद सर🙏
हटाएंबस यही डर कि विज्ञान कहीं विनाश ना बन जाये...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर चिन्तनपरक सृजन
वाह!!!
वही तो मैम विज्ञान बहुत ही उपयोगी है हमारे लिए इस बात में कोई शक नहीं पर ये दो धारी तलवार की तरह है जिससे सामने वाले को जितना खतरा है उतना ही हमें! धन्यवाद आदरणीय मैम🙏🙏
हटाएंसुन्दर संदेश।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद मैम🙏🙏🙏
हटाएंउन्नाति का हमेशा दूसरा पहलू होता है और कई बार एक गलती सदियों पर भारी पड़ जाती है ... सार्थक लेखन ...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आदरणीय सर
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