बुधवार, सितंबर 22, 2021

राष्ट्र चिंतक मतलब भगत सिंह

  आप हमेशा मेरे❤में रहेगें!आप से मेरी हिम्मत है! 
किसी भी राष्ट्र का निर्माण एक माँ से आरंभ होता है , क्योंकि किसी भी राष्ट्र का अभिन्न अंग अर्थात मानव एक माँ की कोख में ही नौ महीने तक पलता है! जब एक माँ नौ महीने एक बच्चे को अपने गर्भ मैं पालती है तो वो सिर्फ़ एक बच्चे को ही नही अपितु एक मुल्क के सुनहरे भविष्य को अपनी कोख में पाल रही होती है! जब वो बच्चे की अच्छी सेहत के खातिर अपने खान-पान के साथ समझौता कर रही होती है, तब वह एक संबल राष्ट्र का निर्माण कर रही होती है ,क्योंकि एक स्वस्थ युवक से ही एक संबल राष्ट्र का निर्माण होता है । इस लिए एक माँ को राष्ट्रजननी कहना गलत नहीं होगा ! 1907 भारत का स्वर्णिम काल जब एक माँ के गर्भ में भारत को खुद पर गर्व महसूस कराने वाला इतिहास और क्रांति सांसे ले रहा था ! इसके साथ ही एक निर्भीक क्रांति और भारत माँ के लिए अपनी जान हंसते- हंसते न्यौछावर करने वाला राष्ट्रपुत्र , राष्ट्रजननी की कोख में पल रहा था । 28 सितंबर (1907) के सूरज की चमक धूमिल मालूम पड़ रही थी उसकी तेज के सामने! ये वह दिन था जब एक ऐसे महानायक और राष्ट्र चिंतक का जन्म हुआ था के साथ नई चेतना, नई विचारधारा का जन्म हुआ था ।यानी कि हम सबके प्रिय सरदार भगत सिंह का जन्म हुआ था!एक ऐसे स्वतंत्र विचार का ,जो व्यक्ति को जेल की काल कोठरी में भी आज़ाद रखता था ! और बेखौफ परिंदे की तरह ऊंची उड़ान भराता था । कुछ इस तरह-
      "राख का हर एक कण, 
      मेरी गर्मी से गतिमान है, 
      मैं एक ऐसा पागल हूँ, 
     जो जेल में भी आज़ाद है!"
भगत सिंह सिर्फ एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक विचारधारा एक इतिहास और एक क्रांति है! जिससे आज की युवा पीढ़ी में जोश आता है! एक ऐसा नास्तिक जो आस्तिकों के हृदय पर राज करता है! आज इक्कीसवीं सदी में जिस उम्र को अपनी जिम्मेदारी उठाने का अधिकार नहीं है! जिसे कानूनन अपराध माना जाता है ! उसी कच्ची उम्र में (1919) जलियावाला बाग हत्याकांड ने भगत सिंह के बाल मन पर इतना गहरा असर डाला कि नाजुक कंधों ने मजबूत इरादों के साथ समस्त देशवासियों को अर्थात संपूर्ण भारतवर्ष को अंग्रेज़ो से गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराने का जिंमा उठा लिया! भगत सिंह की उम्र भले ही कच्ची थी ,पर भारत माँ से किया गया वादा पक्का था।
             "उम्र छोटी थी,
         पर समझदार बड़े थे।   
       कच्ची उम्र ने भारत माँ से 
         वादे पक्के किये थे।।"
ऐसे पुत्र पर किस माँ को नाज़ नहीं होगा ! हर माँ जिसको अपना पुत्र कहने पर गर्व महसूस करती है! ऐसे पुत्र की चाह कौन सी माँ नहीं रखती है! जो युवा भगत सिंह के विचारों और सिद्धांतों का अनुसरण करते हैं!उनकी ताकत हैं! अगर मेरी चले तो मैं भगत सिंह की जयंती जितनी लोग कृष्ण जन्म अष्टमी को धूम -धाम से मनातेे हैं! उससे भी अधिक धूमधाम सेे मनाऊँ! कुछ चीजें देखकर मन को बहुत ठेस पहुंचता हैं ,जैसे महात्मा गाँधी जी का जन्म दिवस हर किसी को याद रहता है! 2अक्टूबर मतलब गांधी जयंती! बच्चे बच्चे को पता है ! पर 28 सितंबर के बारे में नहीं पता! 28 सितंबर सुनकर किसी को कुछ याद नहीं आता! सोशलमीडिया पर अभी से गाँधी जी की जयंती के लिए शुभकामनाएं वाले संदेश तैरने लगे हैं, पर भगत सिंह की जयंती की किसी को खबर नहीं जबकि भगत सिंह की पहले है! मुझे गांधी जी से जलन नहीं है! न ही गांधीजी के लिए जो लोगों का जो प्रेम प्रदर्शन है उससे कोई आपत्ति है! मैं बस इतना चहाती हूँ कि भगत सिंह का जन्म दिवस भी बच्चे बच्चे को याद हो! भगत सिंह के बारे में सब कुछ पता हो और उनके विचार भी! बहुत कम लोगों को भगत सिंह का जन्म दिवस याद रहता है! जो कि अत्यंत दुखद है! इससे भी अधिक मुझे तब दुख होता है जब आज की युवा पीढ़ी के पास इस महानायक और राष्ट्र चिंतक के बारे में जानने के लिए वक्त नहीं होता है ! जिसने अपना पूरा जीवन देश के नाम समर्पित कर दिया!  जिसने हमारें लिए फांसी के फंदे को हंसते हंसते चूम लिया! पर मुझे है कि उम्मीद कि ब्लॉग जगत के सभी ब्लॉगर खासकर चर्चा मंच कुछ ख़ास जरूर करेंगे भगत सिंह के जन्म दिवस पर !खैर!  वैसे तो मुझे भगत सिंह के सभी कथन बहुत अच्छे लगते हैं, पर ये कथन जो मुझे सबसे ज़्यादा हिम्मत देता है -
                    दिल में जो जख्म है 
                    सारे फूल के गुच्छे हैं
                   हमें पागल ही रहने दो, 
                   हम पागल ही अच्छे हैं! 
आने वाले स्वर्णिम दिन (28 सितम्बर)की सभी को बधाई!  
कुछ पंक्ति मेरे आदर्श सरदार भगत सिंह और उनकी माँ को समर्पित- 
पावन है वह धरा 
जहाँ तुझ जैसे वीर 
सपूत का जन्म हुआ! 
कितनी खुश किस्मत है ! 
वह माँ जिसकी कोख में
भारत का शानदार
इतिहास पला! 
नमन् है उस माँ को 
जिसने हमें राष्ट्र पुत्र दिया! 



29 टिप्‍पणियां:

  1. सचमुच भगत सिंह के जन्मदिवस 28 सितम्बर को भी उसी भांति स्मरण रखा जाना चाहिए जिस भांति अन्य महापुरुषों के जन्मदिवस याद रखे जाते हैं। जलियांवाला बाग़ की दृदयविदारक घटना 1919 में हुई थी। भगत सिंह सचमुच एक व्यक्ति नहीं, एक विचार थे और विचार हैं क्योंकि व्यक्ति मर सकता है, विचार नहीं मर सकता। ठीक कहते थे भगत सिंह - हमें पागल ही रहने दो, हम पागल ही अच्छे हैं। सराहनीय आलेख है आपका मनीषा जी।

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    1. आपका सहृदय धन्यवाद आदरणीय सर🙏🙏🙏
      और मेरी त्रुटि से मुझे रूबरू कराने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय सर🙏🙏

      हटाएं
  2. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय मैम इस लेख को चर्चामंच में जगह देने के लिए🙏

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  3. दिल में जो जख्म है
    सारे फूल के गुच्छे हैं
    हमें पागल ही रहने दो,
    हम पागल ही अच्छे हैं!
    देश पर मर मिटने वाले सच्चे सपूत ही देशप्रेम में पागलपन की हद तक पहुँच सकते हैं, आज ऐसे ही हद से न गुजर जाने के लिए आतुर देशभक्तों की आवश्यकता है देश को

    बहुत अच्छी प्रेरक और जागरूक प्रस्तुति

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    1. आपका बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय मैम🙏

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  4. am
    पाच लिंकों में सामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद मैम 🙏

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  5. उत्तर
    1. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय सर

      हटाएं
  6. पावन है वह धरा
    जहाँ तुझ जैसे वीर
    सपूत का जन्म हुआ!
    कितनी खुश किस्मत है !
    वह माँ जिसकी कोख में
    भारत का शानदार
    इतिहास पला!
    नमन् है उस माँ को
    जिसने हमें राष्ट्र पुत्र दिया!

    बहुत सुंदर,तुम भी तो इस देश की युवा हो मनीषा और तुम्हारे हृदय में इस अमर शहीद के लिए ये भाव जो उमड़े है इसे देख बड़ी रहत मिली कि-अब भी कुछ युवापीढ़ी है जो शहीदों की गौरवगाथा को याद कर उनसे प्रेरणा ले रही है। इस बात की और ज्यादा ख़ुशी हुई कि-तुम एक "माँ के कोख" की महत्ता को समझ रही हो। इस बेहतरीन लेख और तुम्हारी सोच के लिए हार्दिक शुभकामनायें और आशीर्वाद तुम्हे।

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    1. आपकी प्रतिक्रिया से मुझे कितनी खुशी और हिम्मत मिलती है यह मैं शब्दों में नहीं बयां कर सकती !आपकी प्रतिक्रिया में मां के जैसा प्यार झलकता है! आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए आपका तहे दिल से बहुत बहुत धन्यवाद प्रिय मैप

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  7. बहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन।
    नमन उस माँ की कोख को जिसने शेर जैसा भारत को लाल दिया।
    सादर

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    1. आपका तहेदिल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय मैम

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  8. विहंगम दृष्टि! बहुत गहन हृदय स्पर्शी लेख भगत सिंह जी के बारे में सत्य को भावात्मक रूप से प्रस्तुत किया और युवा पीढ़ी के लिए एक संचेतना का मार्ग प्रशस्त किया ।
    अप्रतिम अनुपम।
    साधुवाद।

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    1. दिल की गहराइयों से बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय मैम!

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  9. उम्र छोटी थी,
    पर समझदार बड़े थे।
    कच्ची उम्र ने भारत माँ से
    वादे पक्के किये थे।।"
    सरदार भगत सिंह के जन्मदिन को वाकई पूरे देश को बड़ी श्रद्धा के मनाना चाहिए बिल्कुल सही कहा आपने..उनके जैसे सच्चे देशभक्त की वजह से हम आज स्वतंत्र है
    बहुत ही सुन्दर सार्थक लेख।

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  10. बेहतरीन और हृदय स्पर्शी लेख

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  11. इंकलाब जिंदाबाद !
    बहुत सुन्दर कृति।

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  12. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय सर

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  13. सराहनीय प्रस्तुति । शानदार लेख ।

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  14. वाह ! बहुत प्रासंगिक लेख लिखा है अपने,बहुत बधाई ।बेटी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई । खूब लिखो और आगे बढ़ो ।

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    1. इतनी प्यारी और स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय मैम 🤗🤗😊 🙏🙏🙏

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  15. बहुत सुन्दर बहुत सराहनीय | शुभ कामनाएं |

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  16. बेहतरीन लेखन और तुम्हारी सराहनीय

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