रविवार, सितंबर 19, 2021

पौधा प्रेम का

तस्वीर गूगल से
प्रेम का वो पौधा 
हृदय तल में, 
आज भी लगा है! 
कभी मुरझाया, 
तो कभी हरा-भरा है! 

इक कोने में वो आज भी, 
यही उम्मीद लिए खड़ा है! 
कि पड़ेगी कभी 
उसकी की नज़र मुझ पर, 
फिर प्रेम रूपी अमृत से मिलेगा, 
मुझे इक नया जीवन! 

निकलेगी नई शाखाएँ 
और नई पत्तियाँ, 
फिर से खिल उठेगी 
मुरझाई हुई कलियाँ! 
जो महका देगी ,
हृदय तल की सभी गलियां! 

जो ले कर आयेगी, 
मेरे कष्ट भरे जीवन में खुशियाँ!
इसी आश में वो आज भी खड़ा है, 
कभी मुरझाया, 
तो कभी हरा- भरा है! 

34 टिप्‍पणियां:

  1. प्रेम का अंकुर
    मन कि उर्वर माटी में
    दबा रहता है
    प्रियतम के मन के
    ऋतुओं के अनुरूप ही
    उसका पल्लवन
    सदा रहता है।
    कभी मरता नहीं
    वो बीज
    स्मृतियों की कोख में
    हरा रहता है।
    -----
    अति भावपूर्ण सुंदर सृजन प्रिय मनीषा।
    सस्नेह।

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  2. यह कविता, यह अभिव्यक्ति, यह भाव; निश्चय ही बहुत प्रशंसनीय है।

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    1. आपका तहेदिल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सर मेरा हौसला बढ़ाने के लिए🙏🙏

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  3. बहुत सुंदर कविता। मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

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  4. वाह , भावपूर्ण खूबसूरत अभिव्यक्ति ।।

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    1. दिल की गहराइयों से शुक्रिया मैम🙏🙏

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  5. आस प्रेम में पल्लवित होती है। सुन्दर अभिव्यक्ति।

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    1. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय सर!

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  6. प्रिय मनीषा, प्रेम का पौधा कभी नहीं मुरझाता बिना खाद-पानी के भी वो आजीवन हरा भरा ही रहता है,

    बहुत ही सुंदर रचना के लिए ढेर सारा स्नेह तुम्हें

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    1. इतनी प्यारी और स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए आपका सहृदय धन्यवाद🙏💕

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  7. जरूरी नहीं हमेशा गंभीर ही रहा जाये , प्रयोग करने के लिए स्नेह और प्रेम भी सुंदर विषय है। धन्यवाद !

    ह्दय को छुने वाली रचना | सुंदर !

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    1. आपका दिल की गहराइयों से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सर🙏🙏🙏🙏

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  8. भावसिक्त सृजन । अति सुन्दर ।

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    1. सहृदय धन्यवाद आदरणीय मैम🙏🙏🙏🙏

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  9. मेरी रचना को चर्चा मंच में जगह देने के आपका तहेदिल से बहुत बहुत धन्यवाद प्रिय मैम 💜❤🙏🙏🙏🙏

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  10. पौधा हो या प्रेम जब तक उसको बराबर खाद-पानी मिलेगा वह लहलहाता रहेगा, चटक धूप हो या कड़क ठण्ड प्यार का छाँव ही उसे बचाये रखता है , जिन्दा रखता है

    बहुत सुन्दर

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    1. इस स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद🙏💕

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  11. गहन लेखन, लिखती जाओ...। आनंद की अनुभूति अवश्य होगी। खूब बधाई

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  12. इक कोने में वो आज भी,
    यही उम्मीद लिए खड़ा है!
    कि पड़ेगी कभी
    उसकी की नज़र मुझ पर,
    फिर प्रेम रूपी अमृत से मिलेगा,
    मुझे इक नया जीवन!
    बस इसी आस में ये प्रेम का पौधा हरियाता रहता है...पर उसकी नजर का इंतजार करने से बेहतर होगा उसकी नजर के सामने हो ...वह देखे या उसे दिखाया जाय...
    बहुत ही सुन्दर सृजन।

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    1. दिल की गहराईयों से आपका बहुत बहुत धन्यवाद🙏

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  13. आशा अमर है जिसकी आराधना कभी निष्फल नहीं होती। प्रेम के पथ पर उम्मीदों का दीया जलाती रचना। महादेवी के शब्दों में 'प्रियतम का पथ आलोकित कर, मधुर-मधुर मेरे दीपक जल।' बहुत सुंदर रचना। बधाई और आभार। माँ सरस्वती की कृपा बनी रहे।

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    1. इतनी सकारात्मक प्रतिक्रिया देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय सर!

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  14. निकलेगी नई शाखाएँ
    और नई पत्तियाँ,
    फिर से खिल उठेगी
    मुरझाई हुई कलियाँ!
    जो महका देगी ,
    हृदय तल की सभी गलियां!
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  15. वाह क्या बात है!! आपने बहुत उम्दा लिखा है...बधाई

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