तस्वीर गूगल से |
हृदय तल में,
आज भी लगा है!
कभी मुरझाया,
तो कभी हरा-भरा है!
इक कोने में वो आज भी,
यही उम्मीद लिए खड़ा है!
कि पड़ेगी कभी
उसकी की नज़र मुझ पर,
फिर प्रेम रूपी अमृत से मिलेगा,
मुझे इक नया जीवन!
निकलेगी नई शाखाएँ
और नई पत्तियाँ,
फिर से खिल उठेगी
मुरझाई हुई कलियाँ!
जो महका देगी ,
हृदय तल की सभी गलियां!
जो ले कर आयेगी,
मेरे कष्ट भरे जीवन में खुशियाँ!
इसी आश में वो आज भी खड़ा है,
कभी मुरझाया,
तो कभी हरा- भरा है!
प्रेम का अंकुर
जवाब देंहटाएंमन कि उर्वर माटी में
दबा रहता है
प्रियतम के मन के
ऋतुओं के अनुरूप ही
उसका पल्लवन
सदा रहता है।
कभी मरता नहीं
वो बीज
स्मृतियों की कोख में
हरा रहता है।
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अति भावपूर्ण सुंदर सृजन प्रिय मनीषा।
सस्नेह।
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏🙏
हटाएंयह कविता, यह अभिव्यक्ति, यह भाव; निश्चय ही बहुत प्रशंसनीय है।
जवाब देंहटाएंआपका तहेदिल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सर मेरा हौसला बढ़ाने के लिए🙏🙏
हटाएंबहुत सुंदर कविता। मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद आदरणीय सर🙏
हटाएंवाह , भावपूर्ण खूबसूरत अभिव्यक्ति ।।
जवाब देंहटाएंदिल की गहराइयों से शुक्रिया मैम🙏🙏
हटाएंVery beautiful poem 😍🤩🤩
जवाब देंहटाएंआस प्रेम में पल्लवित होती है। सुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय सर!
हटाएंप्रिय मनीषा, प्रेम का पौधा कभी नहीं मुरझाता बिना खाद-पानी के भी वो आजीवन हरा भरा ही रहता है,
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर रचना के लिए ढेर सारा स्नेह तुम्हें
इतनी प्यारी और स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए आपका सहृदय धन्यवाद🙏💕
हटाएंजरूरी नहीं हमेशा गंभीर ही रहा जाये , प्रयोग करने के लिए स्नेह और प्रेम भी सुंदर विषय है। धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंह्दय को छुने वाली रचना | सुंदर !
आपका दिल की गहराइयों से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सर🙏🙏🙏🙏
हटाएंभावसिक्त सृजन । अति सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद आदरणीय मैम🙏🙏🙏🙏
हटाएंमेरी रचना को चर्चा मंच में जगह देने के आपका तहेदिल से बहुत बहुत धन्यवाद प्रिय मैम 💜❤🙏🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंपौधा हो या प्रेम जब तक उसको बराबर खाद-पानी मिलेगा वह लहलहाता रहेगा, चटक धूप हो या कड़क ठण्ड प्यार का छाँव ही उसे बचाये रखता है , जिन्दा रखता है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
इस स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद🙏💕
हटाएंगहन लेखन, लिखती जाओ...। आनंद की अनुभूति अवश्य होगी। खूब बधाई
जवाब देंहटाएंसहृदय धन्यवाद आदरणीय सर🙏🙏
हटाएंइक कोने में वो आज भी,
जवाब देंहटाएंयही उम्मीद लिए खड़ा है!
कि पड़ेगी कभी
उसकी की नज़र मुझ पर,
फिर प्रेम रूपी अमृत से मिलेगा,
मुझे इक नया जीवन!
बस इसी आस में ये प्रेम का पौधा हरियाता रहता है...पर उसकी नजर का इंतजार करने से बेहतर होगा उसकी नजर के सामने हो ...वह देखे या उसे दिखाया जाय...
बहुत ही सुन्दर सृजन।
दिल की गहराईयों से आपका बहुत बहुत धन्यवाद🙏
हटाएंआशा अमर है जिसकी आराधना कभी निष्फल नहीं होती। प्रेम के पथ पर उम्मीदों का दीया जलाती रचना। महादेवी के शब्दों में 'प्रियतम का पथ आलोकित कर, मधुर-मधुर मेरे दीपक जल।' बहुत सुंदर रचना। बधाई और आभार। माँ सरस्वती की कृपा बनी रहे।
जवाब देंहटाएंइतनी सकारात्मक प्रतिक्रिया देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय सर!
हटाएंबहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएं🙏🙏
हटाएंनिकलेगी नई शाखाएँ
जवाब देंहटाएंऔर नई पत्तियाँ,
फिर से खिल उठेगी
मुरझाई हुई कलियाँ!
जो महका देगी ,
हृदय तल की सभी गलियां!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
धन्यवाद आदरणीय सर🙏🙏
हटाएंबढ़िया लेख।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर
हटाएंवाह क्या बात है!! आपने बहुत उम्दा लिखा है...बधाई
जवाब देंहटाएं🙏🙏
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