बढ़ती उम्र के साथ
मेरी बैचेनी बड़ती जाती है|
मैं भी न हो जाऊ बाकियों सी
ठोड़ी निर्दयी व स्वार्थी ?
ये बात हरपल सताती है|
सब कहते हैं मुझ से,
बड़ी होकर तू भी
अपने कामों में व्यस्त हो जाएगी,
फिर तुझे भी भूखे बच्चों
और गरीबों की चिंता नहीं सतायेगी|
जब दबायी जाएगी तेरी आवाज़,
तो तू दूसरों के लिए आवाज उठाना भूल जाएगी|
सब कहते हैं मुझ से,
जिम्मेदारियों के बोझ तले
तेरी दरियादिली भी दब जाएगी|
जन्मदिवस मुझे खतरे की घंटी सा लगता है,
स्वार्थपन की तरफ बढ़ता कदम सा लगता है|
जन्मदिवस पर अपने मैं खुश न हो कर
ये सोच दुखी हो जाती हूँ कि,कहीं बड़ी होकर
मैं भी न अपनों में ही उलझ कर रह जाऊँ?
रिश्तों के बन्धन में बंधकर,
सबकी तरह मैं भी स्वार्थी न बन जाऊँ?
जाने दो, हमसे क्या मतलब'
कहीं इस महा भयानक मानसिक रोग
से मैं भी ग्रसित न हो जाऊँ?
जिस रोग से मनुष्य आधा मर जाता है,
कहीं मैं भी न मर जाऊँ?
सब कहते हैं मुझसे वक्त के साथ
सोच बदल जाती है|
अपने दुःख, दर्द के आगे दूसरों की
पीड़ा नजर नहीं आती है|
डर लगता है कहीं मैं अपने दर्द के आगे
दूसरों का दर्द न देख पाऊँ?
कोशिश तो मेरी है
अपने सिद्धान्तों पर चलने की,
लोगों की ऊलजलूल बातों को
गलत साबित करने की|
पर कहीं न कहीं मुझे
ये बात बहुत डराती है|
अगर ये सच है कि
उम्र बढ़ने पर लोगों की
सोच बदल जाती है?
उनके अन्दर की दरियादिली
ठोड़ी सी भी अगर मर जाती है,
तो काश कि मेरी उम्र यहीं रुक जाती,
या मेरी सोच छोटे बच्चे सी हो जाती,
और मैं स्वार्थी होने से बच जाती!
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(२५-१२ -२०२१) को
'रिश्तों के बन्धन'(चर्चा अंक -४२८९) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
सहृदय बहुत बहुत धन्यवाद🙏💕
हटाएंकाश उम्र न बढे ... या रुक पीछे हो सके ...
जवाब देंहटाएंमन की शंकाओं को बाखूबी लिखा है ...
धन्यवाद आदरणीय सर🙏
हटाएंओह बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण रचना लिखी हैं
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आदरणीय🙏
हटाएंजो अपने से पहले दूसरों को रखते हैं वे नहीं बदलते उम्र बढ़ने के साथ उनकी ये परोपकारी भावना भी और बढ़ जाती है बशर्ते वे आत्मनिर्भर हों...
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावपूर्ण सृजन।
जी आपने बिल्कुल ठीक कहा आत्मनिर्भर होना बहुत जरूरी है लोगों की मदद करने के लिए... !
हटाएंधन्यवाद आदरणीय 🙏
भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आदरणीय🙏
हटाएंहमारे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है🙏
कोमल हृदय की बात हमेशा सुनते रहिए कभी भी नहीं बदलने का वादा भी स्वयं से करते रहिए।
जवाब देंहटाएंसात्विक विचार।
सुहृदय भाव।
इस प्यारी सी प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय 🙏
हटाएंबहुत सुंदर भावपूर्ण पंक्तियां
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आदरणीय🙏
हटाएंजीवन की पाठशाला में
जवाब देंहटाएंहर विषय के अध्यापकों द्वारा
हर नये अध्याय पर
समझाई गयी बुनियादी बातें
और वर्षांत में
परिस्थितियों के अनुरूप
प्रतिउत्तर के लिए
अनिवार्य प्रश्न पत्र
जिसके मूल्यांकन के
फलस्वरूप मिलने वाले
परीक्षाफल का दवाब
बचपन से परिपक्वता की
यात्रा करवाता है...।
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मनीषा,
बंधन न उम्र का होता है न रिश्तों का
मन की कोमलता,संवेदनशीलता और भावनाओं का प्रवाह सतत होता रहे तो शायद बचपना बरकरार रहे...।
बेहद सुंदर मन की एक प्यारी सी अभिव्यक्ति।
सस्नेह।
इतनी प्यारी और स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए आपका तहेदिल से धन्यवाद🙏💕
हटाएंबहुत खूबसूरत भावों से सजी खूबसूरत सी कृति ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आदरणीय... 🙏
हटाएंयुवा चिंतन, अत्यधिक संवेदनशील होते हैं यह आपकी कविताओं में स्पष्ट है.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आदरणीय सर 🙏
हटाएंहमारे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है 🙏
भावपूर्ण अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आदरणीय🙏
हटाएंबदलने कि कहानी को बदलाव कहते हैं और
जवाब देंहटाएंधुंध से निकल बादलों कि नोंक पर जो निखरें उसे महताव कहते हैं।
बदलाव संसार का नियम हैं इससे न छुटा कोई न छुटेगा । ये हमेशा नकारात्मक हो जरूरी तो नहीं। हो सकता बदलाव मौजुदा विचारों को और बेहतरीन और धारदार बना दें।
So बदलाव के नाम पर व्यर्थ है डरना और किसी को डराना , अब जो कोई कहें बदल जाओंगी - बदल जाओंगी उसे मेरी कही ये बात समझाना ।
वास्तविक परिदृश्य पर आधारित भावनात्मक रचना । सुन्दर !
सहृदय आपका बहुत बहुत धन्यवाद सर🙏🙏
हटाएंउम्दा सृजन
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आदरणीय🙏
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार ३१ दिसंबर २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
धन्यवाद आदरणीय...🙏🙏🙏
हटाएंशुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसादर
धन्यवाद आदरणीय🙏🙏🙏
हटाएंकरुणा कभी खत्म नहीं होती । जिसके मन में दूसरों के प्रति करुणा भारी हो वो कभी स्वार्थी नहीं हो सकता । सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की शुभकामनाएँ ।
धन्यवाद आदरणीय मैम🙏
हटाएंनववर्ष की हार्दिक हार्दिक शुभकामनाएं व बधाई🎉🎊
नववर्ष मंगलमय हो 🙏