नेताजी हमारे बड़े दिलवाले।
कब अकड़ना है और कब पैर पकड़ना है
नेता जी ये बड़े अच्छे से जाने।
आपत्ति में भी अपने लिए अवसर ढूढ़ने वाले।
वक़्त पड़ने पर जनता जनार्दन बोलकर
जनता के चरणों में लोटने वाले।
वक्त आते ही अपने चरणों में लोटवाने वाले।
नेता जी हमारे बड़े दिलवाले।
ना जातिवाद करते हैं ,ना भेदभाव करते हैं।
सभी को एक ही तराजू में तौलने का दावा करते हैं।
जनता नासमझ है तो क्या करें नेता जी?
भेदभाव,जातिवाद तो आम लोग करते हैं।
नेताजी तो ऐसे लोगों का
सिर्फ हौसला बुलंद करते हैं।
अपने प्रपौत्र के बेटे के सुनहरे भविष्य के लिए
बस कुछ हजार युवाओं के
वर्तमान को धूमिल व बेरंग ही तो करते हैं ।
ऐसा तो हमारे नेता जी
स्वावलंबी बनने के खातिर करते हैं।
चुनाव के वक्त आम जनता को
कर्ताधर्ता बताते हैं और सबसे खास होने का
एहसास कराते हैं।
चुनाव के बाद आम जनता की चटनी बनाते हैं।
और अपने हिसाब से इस्तेमाल करके चुनावी व्यंजन का
जायका भी आम जनता से ही तो बढ़ाते हैं।
ऐसे ही तो नेता जी हमेशा आम जनता को खास बनाते हैं।
साफ कुर्ते-पजामे के साथ नेताजी
दिल काला भी तो रखते हैं।
फिर भी लोग सफेद धोती कुर्ते को
ही नज़र लगाते रहते हैं।
इतनी खूबियां होने के बाद भी
नेताजी को लोग भला बुरा पता नहीं क्यों कहते हैं
अक्सर नेता जी की आंखें नम हो जाती हैं
ये सोच कर कि लोग उनके दर्द को क्यों नहीं समझते हैं।
मनीषा गोस्वामी