हो सकता है यह लेख बहुतों को रास न आये और उन्हें लगे कि हर काम में मुझे नकारात्मकता ही नज़र आती है।खास उन लोगों को जो ऐसा करते हैं।जरूरी तो नहीं कि मैं पूर्णतः सही ही हूँ! तो इस लिए उन लोगों से निवेदन है कि कृपया तारीफों के पुल बांधने के बजाय अपनी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया दे और अपनी राय प्रकट करें जो वो सच में सोचते हैं और तभी ऐसा करते हैं ।चाहे वो आलोचनात्मक हो या और।
चलो अब लेख पढ़ते हैं-
मैं अक्सर देखती हूं कि लोग कुछ ही दूरी तय करने के लिए चार पहिया वाहन का सहारा लेते हैं वह भी अकेले जाने के लिए! जी करता है कि इन लोगों को रास्ते में ही रोक कर बोलूं कि मानती हूं आपके पास बहुत पैसा है इसलिए आपको पेट्रोल-डीजल को यूंही जलाते हुए एक बार भी नहीं सोचना पड़ता! जहां एक लीटर की जरूरत होती है वहां दो लीटर का उपयोग करते हुए एक बार भी नहीं हिचकिचाते ! इससे दूसरे लोगों को कितनी असुविधा होती है और परेशानियों का सामना करना पड़ता है कभी सोचा है? और तो और इससे देश का कितना नुकसान होता है कभी सोचा है? बेशक आपकी गाड़ी आपके पैसे पर चलती है ,पर इससे देश की आर्थिक स्थिति पर बहुत ही प्रभाव पड़ता है! जब आप कुछ ही किलोमीटर पर अकेले ही जाने के लिए बाइक की बजाय फोर व्हीलर का सहारा लेते हैं तो इससे ट्राफिक बढ़ती है!जहां दो से तीन बाइक निकल सकती है यानि तीन से छ: व्यक्ति आराम से निकल सकते हैं वहां से मात्र एक गाड़ी निकलती है यानि कि मात्र एक व्यक्ति! इस कारण से ट्रॉफी बढ़ता है और इससे सभी के वक्त की बर्बादी होती है! और आपके वक्त की भी इसलिए दूसरों के लिए ना सही तो अपने लिए ही ऐसा करने से बचें! दूसरा नुकसान देश की आर्थिक स्थिति का होता है एक लीटर पेट्रोल-डीजल के बजाय दो लीटर(दुगने इंधन ) का इस्तेमाल होने पर पेट्रोल और डीजल की मांग बढ़ती है और जब इंधन की मांग बढ़ती है तो विदेशों से अधिक तेल का आयात करना पड़ता है ! इससे हमारे देश की मुद्रा यानी कि पैसे का इस्तेमाल विदेशी चीजों पर अधिक होता है|जिससे हमारी मुद्रा का बहुत नुकसान होता है हमें अपने पास विदेशी धन इकट्ठा करने के बजाय विदेशों में अपना धन खर्च करना पड़ता है ! जिसका सीधा असर हमारी अर्थव्यवस्था पर पड़ता है जिससे महंगाई बढ़ती है! और हमारी मुद्रा की कीमत घटती है! इसलिए अगर देश की थोड़ी भी चिंता है तो कृपया अपनी हरकतों से बाज आइए! और तीसरा नुकसान तो आपको पता ही होगा लेकिन फिर भी याद दिला देती हूं! जब एक लीटर तेल के बजाय दो लीटर तेल का इस्तेमाल करते हैं! तो दुगना ईंधन इस्तेमाल करने से कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन भी दुगना होता है ! जोकि अत्यंत घातक है भविष्य के लिए! अगर ऐसे ही आप लोग कुछ ही दूरी पर जाने के लिए ऐसे वाहन का सहारा लेंगे जिसमें दुगने इंधन का उपयोग होता हो तो 2070 तक नेट जीरो (कार्बन मुक्त) होने का तो पता नहीं पर 2030 तक विश्व के तापमान में 3 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने की संभावना जो जताई गई है उससे आगे निकल जाओगे! इसमें कोई शक नहीं! और तो और आप अपने बच्चे के जीवन को खतरे में डाल रहे हैं इसलिए बच्चे को पढ़ाने लिखाने की क्या जरूरत? सुनहरे भविष्य के सपने दिखाने की क्या जरूरत?क्यों उनकी आंखों में सुनहरे सपने डाल रहे हो? जब भविष्य ही नहीं रहेगा तो सुनहरा क्या खाक बनेग! जब सांस लेने के लिए शुद्ध हवा ना होगी पीने के लिए शुद्ध पानी नहीं होगा तो भविष्य सुनहरा कैसे होगा?क्या बिना शुद्ध हवा और पानी के भविष्य सुनहरा हो सकता है? अब आप कहोगे कि पानी को मशीन से शुद्ध कर लेंगे और हवा को भी ! बिल्कुल सही कहा आपने पर यह हम मनुष्य कर सकते हैं जानवर और पेड़ पौधे नहीं |क्या बिना पेड़ -पौधे और जानवर के मानव का जीवन संभव है?नहीं ना ये तो आप भी जानते होंगे! मानव जीवन के लिए जैव विविधता अनिवार्य है! इसलिए महाशय कृपया अपने पैसे की अकड़ कहीं और पर दिखाया कीजिए जिससे सब को फायदा हो अगर किसी को फायदा ना हो तो कमसेकम नुकसान तो ना ही हो! पर अफसोस मैं किसी की कार रोककर इतना सारा भाषण तो नहीं दे सकती और ना ही कोई इतनी देर तक मुझे चुपचाप सुनता रहेगा! या तो इतनी देर में मुझे अस्पताल पहुंचा देगा या फिर मुझे धक्का मार कर नौ दो ग्यारह हो जाएगा!😄 पर कोई बात नहीं! यहां तो दे सकती हूं ,और जरूरी थोड़ी है कि ऐसे लोग सिर्फ सड़क पर ही मिलते हैं| ऐसे लोग हमारे ब्लॉग जगत पर भी होंगे मुझे पूरा विश्वास है| इसलिए मैंने यहीं पर अपनी बात रख दिया| अगर समझना चाहते होंगे तो समझ जाएंगे नहीं तो क्या ही कर सकते हैं! कुत्ते की दुम सीधी ठोड़ी की जा सकती! वैसे ही इन लोगों को भी .....!
जैसा कि पता है कि पिछले महीने हुई COP-26 की मीटिंग में प्रधानमंत्री जी ने 2070 तक नेटजीरो यानी कि कार्बन मुक्त होने का (जितना कार्बन उत्सर्जित करेंगे उतना ही अवशोषित करेंगे)वादा किया है| इस वादे को पूरा करने के लिए आमजन से लेकर खास व्यक्ति हर किसी को पूरा सहयोग देना होगा| तभी यह सम्भव हो पायेगा! इसलिए यहां उपस्थित सभी आदरणीय और प्रिय जन से हाथ जोड़कर कर सच्चे दिल से निवेदन है कि कृपया ऐसा कुछ भी काम मत करिये अगर करते थे तो आगे से मत किया कीजिएगा! जिससे आमजन से लेकर देश और पर्यावरण को नुकसान हो! ये हमारे देश के लिए सच्ची देश भक्ति से कम नहीं होगी !🙏🙏🙏
मनीषा,जिस दिन इंसान अपने फायदे के पहले देश का फायदा और पर्यावरण के बारे में सोचने लगेगा उस दिन सचमुच ये धरती स्वर्ग बन जाएगी। काश, इंसान तुम्हारी तरह सोचने लगे।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर विचारणीय लेख।
वही तो काश कि सभी लोग थोड़ी-थोड़ी जिम्मेदारी उठाना सीख लेते देश के प्रति मिली हुई जिम्मेदारियों को भी समझ सकते! पर गिनती के लोकगीत पढ़ना पसंद किया और उन्हें पसन्द आया!
हटाएंयह देख कर बहुत खुशी हुई कि उन्ही कुछ लोगों में से एक आप हो!
आपकी इस बहुमूल्य प्रतिक्रिया के लिए आपका तहेदिल से बहुत बहुत धन्यवाद🙏💕
मनीषा ये एक गंभीर समस्या है हमारे देश की । अक्सर हम ऐसे ही ट्रैफिक में फंस जाते हैं, जहां अगर हम पैदल या आम वाहन से जा सकते हैं परंतु हम अपनी सुविधा और हालत के अनुसार सोचते हैं इस वक्त हम देश या समाज का नहीं सोचते, खास तौर से युवा पीढ़ी इन बातों को तो बिलकुल नहीं सोच रही, मां बाप की गाड़ी ले ली जहां तहां घूम रहे। एक जिम्मेदार इंसान अपनी सुविधा देखते हुए भले ही गाड़ी से जाय । वो देश का भले न सोचे परंतु समय, पैसा और जरूरत के बारे में जरूर सोचता है और सोचना भी चाहिए ।
जवाब देंहटाएंविचारणीय आलेख ।
जी आप बिल्कुल सही कह रहीं हैं अगर सुविधाओं का सदुपयोग होने लगे तो बाकी लोगों को दिक्कत न हो! सबसे अधिक तो युवा ही सुविधाओं का दुरुपयोग करते हैं! जैसे पांच से आठ किमी ही जाना हो और वो भी अकेले मौसम भी खराब नहीं हो और न ही कोई आपात स्थित होती फिर भी गाड़ी लेकर चल देते हैं !
हटाएंप्रतिक्रिया के लिए आपका तहेदिल से बहुत बहुत धन्यवाद🙏
बहुत ही सटीक बातें आपने अपने इस लेख में बताई है वास्तविक जीवन में हम ऐसा करते हैं सच्चाई को बयां करता आपका यह लेख
जवाब देंहटाएंतहेदिल से बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय🙏
हटाएंसीधे सच्चे शब्दों में बड़े काम की बात!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आदरणीय🙏
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