रविवार, मार्च 21, 2021

मंजिल की ओर

 करना है तुझे अपने सपने साकार, 

जज्बा है तुझ में

मत डर इन छोटी छोटी कठिनाइयों से

अभी तो तूफानों से लड़ना है तुझे! 

मत दे ध्यान इन बातों पर, 

कि कौन हंस रहा तुझ पर! 

छूना है हर उचाईयों को, 

ये काबिलियत है तुझ में! 

क्यों? भागता है, इन मामुली चिंगारियों से

अभी तो सुलगते अंगारों पर चलना है तुझे! 

मत हार हिम्मत अपनी, 

कर पूरी ख्वाहिश अपनी! 

तभी तो मिलेगी तुझे पहचान असली! 

कोशिश करके तो देख, 

मिलेंगी राहें अनेक! 

रख भरोसा खुद पर, 

आज पी ले सभी गमों को! 

मिटा दें सभी कुप्रथाओं को, 

और ला अपने होठों पर इक सच्ची मुस्कान! 

बना ले अपनी इक अलग पहचान, 

और दूसरों के लिए मिसाल! 

 (यह मेरी पहली कविता है जो की मैंने 15 वर्ष की उम्र 2016 में लिखी थी! जब मैं ठोड़ी अवसाद ग्रसत थी और सबसे दूर एक कमरे में बंद रहती थी) 

  काव्य दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं एवं ढेर सारी बधाई🎉🎊🎉🎊🎉🎊

शनिवार, मार्च 06, 2021

कलयुगी रावण

आईना ना हमें दिखाओ, अपनी अश्लील नज़रों का जा कर शुद्धीकरण  कराओ! 
खुद के घर की लड़कियों का सुरक्षा कवच बनते हैं
और दूसरे के घर की लड़कियों के सुरक्षा कवच कारण! 

अनगिनत चहरे छुपा के रखते हैं ये कलयुगी रावण

अश्लील अंदाज में राम का नाम लेकर

 लड़कियों को छेड़ते हैं, 

मर्यादा की सारी हदें पार करते हैं, 

और खुद को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र का सच्चा भक्त बोलते हैं! 

खुद करते हैं, काली करतूत

और महिलाओं को चेहरा ढकने पर करते हैं मजबूर! 

खुद के घर की बेटियों के सिर से चुन्नी पल भर के लिए नहीं उतरने देते हैं, 

और दूसरों की  बहन और बेटियों को, 

अपनी गंदी नजरों से निवस्त्र कर  देते हैं! 

लड़कियों को देख कर, 

यौन का इन पर इस तरह चढ़ता है भूत

कि इनका खुद पर नहीं रहता नियंत्रण 

और कर बैठते हैं काली करतूत! 

है निवेदन,मेरी इनकी माँ और बहनों से

कि इनसे रहे हमेशा दूर! 

क्या पता कब इन पर  चढ़ जाये यौन का भूत, 

और ये कर बैठे अपने ही लोगों के साथ काली करतू़त! 

 मत करो अपमान जानवरों का, इन लोगों की तुलना करके जानवरों से! 

क्योंकि जानवर ,जानवर वाला  ही कार्य करता है, 

लेकिन ये मानव रूपी दानव..........?  




नारी सशक्तिकरण के लिए पितृसत्तात्मक समाज का दोहरापन

एक तरफ तो पुरुष समाज महिलाओं के अधिकारों और उनके सम्मान की बात करता है और वहीं दूसरी तरफ उनके रास्ते में खुद ही एक जगह काम करता है। जब समाज ...