जज्बा है तुझ में
मत डर इन छोटी छोटी कठिनाइयों से
अभी तो तूफानों से लड़ना है तुझे!
मत दे ध्यान इन बातों पर,
कि कौन हंस रहा तुझ पर!
छूना है हर उचाईयों को,
ये काबिलियत है तुझ में!
क्यों? भागता है, इन मामुली चिंगारियों से
अभी तो सुलगते अंगारों पर चलना है तुझे!
मत हार हिम्मत अपनी,
कर पूरी ख्वाहिश अपनी!
तभी तो मिलेगी तुझे पहचान असली!
कोशिश करके तो देख,
मिलेंगी राहें अनेक!
रख भरोसा खुद पर,
आज पी ले सभी गमों को!
मिटा दें सभी कुप्रथाओं को,
और ला अपने होठों पर इक सच्ची मुस्कान!
बना ले अपनी इक अलग पहचान,
और दूसरों के लिए मिसाल!
(यह मेरी पहली कविता है जो की मैंने 15 वर्ष की उम्र 2016 में लिखी थी! जब मैं ठोड़ी अवसाद ग्रसत थी और सबसे दूर एक कमरे में बंद रहती थी)
काव्य दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं एवं ढेर सारी बधाई🎉🎊🎉🎊🎉🎊
इतनी छोटी उम्र में इतनी गहराई थी आपके ख़यालात और जज़्बात में ! बहुत ख़ूब ! जो आपने तब सोचा था, महसूस किया था; उम्मीद है कि आप उसी राह पर चलती होंगी ।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत धन्यवाद और आभार 🙏🙏🙏🙏
हटाएंबहुत अच्छी कविता लिखी आपने। अवसाद के पलों में हमारा 'मैं' ही हमारा सबसे बड़ा शुभचिंतक होता है।
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏🙏धन्यवाद सर🙏🙏🙏🙏
हटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार ( 22-03 -2021 ) को पत्थर से करना नहीं, कोई भी फरियाद (चर्चा अंक 4013) पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
🙏🙏🙏🙏धन्यवाद सर🙏🙏🙏🙏
हटाएंवाह! मनीषा जी ,बेहतरीन सृजन ।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत धन्यवाद और आभार 🙏🙏
हटाएंस्वयं को मजबूत करने का प्रयास । सार्थक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏धन्यवाद मैम🙏🙏🙏🙏
हटाएंबहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंसार्थक अभिव्यक्ति।
🙏🙏🙏🙏धन्यवाद सर🙏🙏🙏🙏
हटाएंबहुत ही सुंदर है स्वयं मनोबल अति आवशयक।
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई।
🙏🙏🙏धन्यवाद मैम🙏🙏🙏🙏
हटाएंवाह , सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत धन्यवाद और आभार 🙏🙏
हटाएंबहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏🙏धन्यवाद सर🙏🙏🙏🙏
हटाएंवाह, 15 वर्ष की उम्र में इतनी सुंदर कविता 'मंज़िल की ओर' लिखना ही अपने आप में कमाल है! आप इसी तरह से लिखती रहिए, हम सब आपके साथ हैं।
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏🙏🙏आपका बहुत बहुत धन्यवाद और आभार 🙏🙏🙏🙏🙏
हटाएंबेहतरीन प्रेरणा दायक
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏🙏धन्यवाद सर🙏🙏🙏🙏
हटाएंप्रेरणा से भरपूर रचना
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत धन्यवाद और आभार 🙏🙏
हटाएंवाह! मनीषा। होनहार बिरवान के होत न चिकने पात!!आप काफी आगे बढ़े। ढेर सारी शुभकामनाएं!!!
जवाब देंहटाएंबहुत गहरी बात...। ऊर्जा जगाती रचना..
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत धन्यवाद और आभार सर🙏🙏🙏🙏
हटाएंEk behtarin Rachna bahut hi Chhoti Umra Me aapane likhane ka Prayas kiya.
जवाब देंहटाएंThank you so much Sir🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
हटाएंप्रिय मनीषा,आपकी स्नेहिल उलाहना को मैं दिल से स्वीकार करती हूँ ,उलाहना अपनों को ही देते है और आपने मुझे अपना समझा तभी तो उलाहना दिया। आपको मैसेज डिलीट करने की जरूरत नहीं थी बच्चें। जिन दिनों आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई थी उन दिनों कुछ घरलू कारणों से मैं ब्लॉग पर कम ही उपस्थित हो पा रही थी इसलिए नहीं आ पाई। आप बहुत ही अच्छा लिखती है एक आक्रोश,एक दृढ निश्चय है आपकी लेखनी में जिसे यूँ ही बनाये रखियेगा। आप सभी तो इस देश का भविष्य है जिनसे हमें बहुत सारी उम्मींदे है। ढेर सारा आशीष आपको।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मैम🙏💕
हटाएंइस दुनियाँ में हर कोई प्यार और स्नेह का भूखा है और आप का स्नेह तो बहुत ही सुखद एहसास है जिसके न मिलने पर हर कोई तड़प उठेगा ,जब आप मुझे बच्चा बोलतीं हैं उस एहसास को मैं शब्दों में व्यक्त नही कर सकती! बस इतना कहुगीं कि अपने सिर्फ वे नहीं जिन से खून का रिश्ता हो ,अपने वो भी होते हैं जो अपनेपन का एहसास कराएं!
इतना सारा स्नेह और प्यार के लिए आपको तहेदिल से धन्यवाद🙏💕🙏💕🙏💕🙏💕
बहुत सुन्दर सार्थक रचना
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत धन्यवाद और आभार 🙏🙏
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 23 नवम्बर 2021 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
दिल की गहराइयों से शुक्रिया🙏🙏🙏🙏🙏
हटाएंब्लॉग सम्पर्क फार्म लगाइए
जवाब देंहटाएंसादर
जी🙏
हटाएंउम्दा
जवाब देंहटाएं