उसके भी थे कुछ सपने!
कि दूसरों को समझने की बारी आ गई
खुद के पैरों पर खडी़ होती उससे पहले
किसी का सहारा बनने की जिम्मेदारी उसके कंधे पर आ गई
अभी वो खुद से ठीक से रू -ब -रू भी नहीं हुई थी
कि इक नई जान को इस दुनियाँ से रूबरू कराने की जिम्मेदारी आ गई
गाल गुलाबी होते उससे पहले
उसके हाथ पीले हो गए
उसकी आँखों में सुनहरे सपने पलने से पहले
टूट कर चकनाचूर हो गए
उसके भी थे कुछ सपने
पर नहीं समझ सके उसके अपने
अपना कहती किसी को उससे पहले
उसके अपने पराये हो गए
धूम धाम से करके तैयारी
बना दिया उसे समाज की नजरों में अबला नारी
(बाल विवाह का शिकार होने वाली लड़कियों के दर्द को अपनी टूटी -फूटी पंक्तियों से बयां करने का इक छोटी -सी कोशिश )
अधिकांश भारतीय कन्याओं के जीवन का मर्माहत कर देने वाला सत्य है यह । जिस पर बीतती है, अपने मन की पीड़ा को वही जानती है ।
जवाब देंहटाएंYes Sir! 🙏🙏🙏🙏
हटाएंप्रिय मनीषा,
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता बाल -विवाह की कुरीति को दर्शाती हुई।
बहुत सुंदर लिखा। मैं भी आपकी तरह विद्यार्थी हूँ।
मेरे भी ब्लॉग पर आना।
Thank you so much dear💕
हटाएंVisit my blog too sweety. Would love to befriend you
हटाएंI will also be happy friend you.
हटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंThank you so much Ma'am 🙏🙏
हटाएंप्रिय मनीषा , बाल विवाह से किसी लड़की के अनगिन सपने तबाह हो जाते हैं क्योंकि उसकी देह कोमल और सोच अपरिपक्व होती है | बहुत अच्छा लिखा आपने | आप एक विद्यार्थी हैं सो आपकी ये रचना अनमोल है क्योकि इसमें समाज के प्रति आपकी संवेदनशीलता और दायित्वबोध दिखाई पड़ता है| | साहित्य में आप जैसे युवाओं का आना साहित्य के लिए शुभ संकेत है| यूँ ही लिखने का अभ्यास करती रहिये मेरी शुभकामनायें और स्नेह आपके लिए | |
जवाब देंहटाएंइतना सारा प्यार और मेरा हौसला बढ़ाने के लिए के लिए मैम आपको तहे दिल से धन्यवाद!
हटाएंबहुत सुंदर भावपूर्ण रचना।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद🙏
हटाएंमेरी कविता को' असर अब गहरा होगा'(चर्चा अंक ) में सामिल करने के लिए तहेदिल से शुक्रिया!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और प्रेरक रचना।
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
हटाएंबाल विवाह की वेदना को बहुत सुंदर से उकेरा है आपने।
जवाब देंहटाएंसार्थक सृजन।
समाज की इस मानसिकता की शिकार बच्चियां बचपन कहां भोग पाती है सीधी बड़ी हो जाती है।
चिंतन परक रचना।
बधाई।
बहुत सुन्दर और हृदयस्पर्शी सृजन मनीषा जी ।
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
हटाएंवैसे तो अब बालविवाह पर रोक है । लेकिन हो सकता है कि अब भी कहीं कहीं किये जाते हों ।संवेफनशील रचना ।
जवाब देंहटाएंमैम! हमारे सविधान ने तो बालविवाह पर रोक लगा रखा है पर गाँव की हकीकत कुछ और ही है!समाज के साथ कानून के रखवाले भी आंखें बंद कर रखते हैं! 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
हटाएंबाल-विवाह के दर्द को कोमल शब्दों में पिरोया है आपने,हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति मिनिषा
जवाब देंहटाएं🙏💕🙏💕🙏तहेदिल से धन्यवाद🙏💕🙏💕🙏
हटाएंजाने कितनी ही लड़कियों के सपने यूँ ही दिल में सपने बनकर रह जाते हैं
जवाब देंहटाएंमर्मस्पर्शी रचना
बहुत अच्छा लिखती हैं आप, लिखते रहिये
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएं🙏💕🙏💕धन्यवाद🙏💕🙏💕
हटाएंप्रयास अत्यंत प्रभावी है । शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएं🙏💕🙏💕धन्यवाद🙏💕🙏💕
हटाएंप्रभावशाली लेखन। ढेरों बधाई और शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएं🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
हटाएंबहुत ही चिंतनीय विषय उठाया है आपने प्रिय मनीषा..ऐसे ही सुन्दर लेखन करती रहें..यही शुभकामनाएं हैं..मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है..
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🏼
हटाएंबालविवाह को केंद्र में रखकर
जवाब देंहटाएंलिखी गयी प्रभावी रचना
बधाई
आग्रह है मेरे ब्लॉग को भी फॉलो करें
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
हटाएंबहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएं🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
हटाएंबाल विवाह के त्रासद सत्य को प्रभावी रूप से वर्णित किया है आपने।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा आपका ब्लॉग।
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
हटाएंउच्चारण पर ध्यान दीजिए
जवाब देंहटाएंउदाहरणार्थ....
(बाल विवाह का सिकार होने वाली लड़कीयो के दर्द को अपनी टुटी फुटी पंक्तियों से बयां करने का इक छोटा -सा प्रयास)
बाल विवाह का शिकार होने वाली लड़कियों के दर्द को अपनी टूटी-फूटी पंक्तियों से बयां करने का एक छोटा प्रयास
लिखते चलिए
हम पढ़ते रहेंगे
सादर
हमारी त्रुटि को हमें ज्ञात कराने के लिए तहेदिल से धन्यवाद🙏💕🙏💕
हटाएंकविता के भाव बहुत गहरे हैं... बधाई
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत धन्यवाद और आभार सर 🙏🙏
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 23 नवम्बर 2021 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
🙏🙏🙏
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