मंगलवार, दिसंबर 21, 2021

खुद के प्रकाश से चमकना है तुझे

चांद नहीं, सूरज बनना है तुझे|
दूसरों के प्रकाश से नहीं 
खुद की रोशनी से चमकना है तुझे |
लम्बी लताओं-सी परपोषी नहीं, 
दूब-सा स्वपोषी बनना है तुझे|

हजार बार पैरों तले 
कुचलने जाने पर भी
दूब-सा सीना तान उठना है तुझे|
पुनः मस्त मगन हो कर लहराना है तुझे |
शाम - सा ढलकर 
फिर सुबह के सूरज सा चमकना है तुझे|

दूसरों पर निर्भर नहीं 
आत्मनिर्भर बनना है तुझे|
खुद पर उठने वाली उंगलियों को 
ताली वाले हाथ में बदलना है तुझे|
कीचड़ में रहकर भी 
कमल सा खिलना है तुझे|

फूल बनकर भी 
आत्मरक्षा के खातिर
शूल रखना है तुझे|
दूसरों से प्यार करने से पहले 
खुद से प्यार करना है तुझे|
खुद का हाथ खुद ही पकड़कर चलना है तुझे|

गैरों से दोस्ती करने से पहले 
खुद से दोस्ती करना है तुझे|
उदाहरण देना नहीं
बल्कि खुद का उदाहरण 
पेश करना है तुझे|
पद चिन्हों पर चलना नहीं 
खुद के पदचिन्ह छोड़ना है तुझे |


22 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (22-12-2021) को चर्चा मंच          "दूब-सा स्वपोषी बनना है तुझे"   (चर्चा अंक-4286)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'   

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    1. मेरी रचना को चर्चामंच में शामिल करने के लिए आपका तहे दिल से बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय सर🙏

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  2. दूसरों पर निर्भर नहीं
    आत्मनिर्भर बनना है तुझे|
    खुद पर उठने वाली उंगलियों को
    ताली वाले हाथ में बदलना है तुझे|
    कीचड़ में रहकर भी
    कमल से खेलना है तुझे|
    नया जोश भरती बहुत ही सुंदर रचना, मनीषा।

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  3. चांद नहीं, सूरज बनना है तुझे|
    दूसरों के प्रकाश से नहीं
    खुद की रोशनी से चमकना है तुझे |
    लम्बी लताओं-सी परजीवी नहीं,
    दूब-सा स्वपोषी बनना है तुझे|

    बहुत ही सुन्दर संकल्प,यदि प्रत्येक लड़की ये संकल्प ले लें तो नवजागरण निश्चित है, दृढ़ संकल्प से भरा लाजवाब सृजन प्रिय मनीषा, स्नेह तुम्हें

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  4. वाह!वाह!लाज़वाब सृजन।
    आत्मविश्वास से शराबोर।
    बहुत ही उम्दा।
    हार्दिक बधाई प्रिय मनीषा जी।
    सादर स्नेह

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    उत्तर
    1. बहुत-बहुत आभार व धन्यवाद प्रिय मैम🙏🙏

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  5. वाह बहुत खूब
    चाँद नही सूरज बनना है

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  6. का, बहुत सुंदर प्रेरक रचना ।

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  7. बहुत सुंदर आह्वान।
    स्व के उत्थान के सुंदर सोपान।
    बधाई सुंदर संदेशात्मक रचना।

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  8. रहनुमाई करती प्रेरणादायक लेखनी।

    http://mansooralihashmi.blogspot.com

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  9. फूल बनकर भी
    आत्मरक्षा के खातिर
    शूल रखना है तुझे|
    दूसरों से प्यार करने से पहले
    खुद से प्यार करना है तुझे|
    खुद का हाथ खुद ही पकड़कर चलना है तुझे|
    Very Nice 👌👌👌

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  10. सुना था अजीव हो तुम
    आज मालुम हुआ - दुब को दरख्त बनाने वाली प्रकृति के इतने करीब हो तुम।

    सुना था अजीव हो तुम
    आज मालूम हुआ - बुद्धिजीवियों के मध्य शब्दों से खेलने वाली कागज पर उभरी उन्दा तस्वीर हो तुम।

    माफ किजियेगां कुछ ज्यादा लिखा हो तो -
    वैसे अच्छा लगा भारी भड़कम विषयों से थोड़े देर के लिये आपने किनारा किया।
    तितली - दुब - चांद तारे अच्छा है।

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    उत्तर
    1. सर आपकी हर प्रतिक्रिया मेरा हौसला बढ़ाती है और लिखते रहने के लिए प्रेरित करती है! आपकी इस प्यारी सी प्रतिक्रिया के लिए आपका दिल की गहराइयों से बहुत बहुत धन्यवाद🙏🙏

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