जैसा कि पिछले साल ही एक संस्था द्वारा यह बात सामने आई थी कि कोरोना काल में दुनिया भर में गरीबी और अमीरी के बीच की खाई बहुत ही गहरी हो चुकी है! जो गरीब था वह और भी गरीब हो गया और जो अमीर था वह और भी अमीर हो गया! करोना काल के चलते! जोकि अत्यंत घातक है! वहीं इस साल की विश्व असमानता रिपोर्ट 2022 के आंकड़े भारत को झकझोर देने वाले हैं! विश्व असमानता लैब के मुताबिक भारत दुनिया के उन देशों में शामिल है जो दुनिया के सबसे अधिक असमानता लिए हुए हैं! इस रिपोर्ट के अनुसार भारत की 10% आबादी 57% नेशनल इनकम अपने पास रखे हुए है! यानी कि अगर जनसंख्या 50 करोड़ है तो मात्र 15 करोड़ लोग ही देश का 57% इनकम अपने पास रखते हैं! और वहीं दूसरी तरफ 50%आबादी के पास सिर्फ 10% के आसपास का धन ही है! रिपोर्ट के अनुसार भारत की 1% जनसंख्या 22% इनकम अपने पास रखती है! यानि कि 1/5 हिस्सा पूरी कमाई का 1% आबादी के पास है! वहीं बॉटम हॉफ के पास 13.1% हिस्सा है! इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत में इकोनामिक रिफॉर्म और लिबरलाईजेशन जो हुआ उसके बाद में एक प्रतिशत लोगों को ही इसका सबसे अधिक फायदा हुआ! भारत में जो 1991 में लिबरलाइजेशन ,ग्लोबलाइजेशन और प्राइवेटाइजेशन लाए गए थे जिसके चलते बहुत अधिक तारीफ हुई थी तत्कालीन सरकार की उसके बारे में कहा गया है, कि केवल एक ही प्रतिशत लोगों को इससे फायदा हुआ ! यानी पैसे वाले को और पैसे वाला बना दिया गया और गरीब को और गरीब बना दिया गया!इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि क्या हालात है देश के अंदर !इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में जो वयस्क व्यक्ति (जनसंख्या के आधार पर) दो लाख चार हज़ार रुपये की कमाई करता है अगर वह एक एवरेज कमाई की बात करे तो! जबकि बॉटम 50% यानी 53 हजार रुपये कमाता है ,वही टॉप का जो 10 % है वह लगभग 20 गुना अधिक पैसे कमाता है! इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारे देश में कितनी असमानता आ चुकी है अमीरी और गरीबी के बीच की खाई कितनी गहरी हो चुकी है! जिसको भरना बहुत ही कठिन हो चुका है! यह दिखाता है कि किस ओर बढ़ रहे हैं हम,यह बहुत ही चिंताजनक है! इस खाई को भरनेेे के लिए भारत सरकार को बहुत ही जरूरी और कठोर कदम उठाने होंगे, नहीं तो यह स्थिति बहुत ही विकराल और घातक रूप धारण कर लेगी और फिर इसे बदल पाना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा ! इस कारण से लोग उस साम्यवाद का मांग करेंगे जो वर्षों पहले चीन में हुआ था ! जिसमें अमीर लोगों से उनकी संपत्ति छीन कर गरीब लोगों में बांट दी गई थी और उनकी हत्या कर दी जाती थी, जो संपत्ति देने से इनकार करते थे! जिसमें अनेक निर्दोष लोगों की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी गई थी कि वे अमीर थेें! जैसा कि भारत में वर्तमान में कुछ पार्टियां हैं! जो माओवादी विचारधारा की राहों पर चल रही है !और नक्सलवादी विचारधारा को भी पूर्णतः खत्म नही किया जा सका है! जबकि बहुत से नक्सलियों को खत्म करने की बात सामने आती रहती है, पर हमें हमारे नायक भगत सिंह की यह बात नहीं भूलनी चाहिए -" लोगों को मारकर उनके विचारों को नहीं मारा जा सकता!" ये बात हर विचारधारा (अच्छी और बुरी) के लिए लागू होती है इसलिए नक्सलियों को मारने से अधिक जरूर है नक्सलवादी विचारधारा को मारना!और अगर ऐसे ही गरीबी और अमीरी के बीच की खाईं बढ़ती रही तो साम्यवादी विचारधारा के नये नये और खतरनाक रूप सामने आ सकतें हैं! जैसे साम्यवादी विचारधारा ने माओवादी और नक्सलवादी आदि खतरनाक विचारधारा का रूप लिया था! इसलिए ऐसी कोई स्थिति आनेेे से पहले जरूरी कदम उठाने की सख्त जरूरत है !
पहले पढ़ने का शौक था अब लिखने की बिमारी है।ये कलम कभी न रुकी थी, न ही आगे किसी के सामने झुकने और रुकने वाली है।क्योंकि कलम की जिंदगी में साँसें नहीं होतीं।कवयित्री तो नहीं हूँ पर अपनी भावनाओं को कविताओं के जरिए व्यक्त करती हूँ।लेखिका भी नहीं हूँ लेकिन निष्पक्ष लेखन के माध्यम से समाज को आईना दिखाने का दुस्साहस कर रही हूँ।
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भयावह स्थिति कि ओर ध्यान आकृष्ट किया है ..... सार्थक लेख .
जवाब देंहटाएं🙏🙏
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 13 दिसम्बर 2021 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सामयिक एवं सार्थक।
जवाब देंहटाएं🙏🙏
हटाएंसार्थक लेख।
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏
हटाएंवाह मनीषा ! सार्थक विषय पर अमित छाप छोड़ता सार्थक और विचारणीय आलेख ।
जवाब देंहटाएंमनीषा जी , माफ किजिएगां मुझे इतनी बड़ी-बड़ी बातें समझ नहीं आती
जवाब देंहटाएंमेरा मानना है कि दो किनारे पर दो लोग खड़े क्यों किसी तीसरे के पुल बनाने
का इंतजार करते है । सरकार नीतियां बनाती कुछ अच्छी कुछ गैर अच्छी मशलन 1991 , 2014 या करोना काल 2019 - 20 इन सब वो अमीर वो गरीब क्या कर रहा हैं। 'क्योंकि हम अच्छे है' पुल ना सही एक पुलिया तो बना ही सकते हैं ।
आपके लेख पर विचारते हुए कुछ लिखा है कृप्या आकर अवलोकन करें।
इस बार लेख में माफ किजिएगा शब्दों का गठजोड़ मुझे थोड़ा कम दिखा ।
किन्तु आपका विषय अच्छा ।
नहीं सर आपको माफी मागने की कोई जरूरत नही है! कहने पर तो बिल्कुल भी नहीं!अगर कोई सच पर रूठे तो उससे मानाने की भी जरूरत नहीं!आपकी हर एक प्रतिक्रिया हमारे लिए बहुमूल्य है फिर वो तारीफ हो या आलोचना!आपको हमारे लेख पर अपने विचार रखने की पूरी स्वतंत्रता है!ये आपका बड़ाप्पन है कि आपने वो कहा आपको महसूस हुआ!प्रतिक्रिया के लिए आपका तहेदिल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सर 🙏🙏
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