सोमवार, अक्तूबर 18, 2021

दांस्ता-ए- जिन्दगी

जब जिंदगी सपनों  से पहले 
पूरी होने वाली होती है, 
तब सपने नहीं, 
सिर्फ ख्वाहिशे 
पूरी करने की चाह रह जाती है! 
जब जिंदगी पेड़ पर लगे 
उस सूखे पत्ते सी हो जाती है, 
जिसकी जिंदगी तो होती है 
पर जान नहीं होती! 
तब मौत आने से पहले 
जीजिविषा मर जाती है! 
जब जिंदगी गले लगाकर पीठ में 
खंजर घोपने की फिराक में होती है, 
तब लंबी जिंदगी कि नहीं 
सिर्फ क्षणिक आनंद महसूस 
करने की चाह रह जाती है! 
जब दर्द बाहों में बाहें डालकर 
हर वक्त साथ चल रहा हो, 
तब मौत से पहले जिजीविषा मर जाती है! 
जब मंजिल तक पहुंचने से पहले 
जिंदगी अपनी मंजिल को हासिल 
करने का ठान लेती है! 
तब मंजिल की नहीं, 
सिर्फ खूबसूरत सफर में 
खानाबदोश बनने की चाह रह जाती है! 
जब जिंदगी रेत सी 
हाथ से फिसल रही होती है! 
तब लंबी जिंदगी की नहीं, 
सिर्फ बड़ी जिंदगी की चाह रह जाती है! 
पता तो सबको है, 
कि जिंदगी की मंजिल मौत है ! 
फिर भी मौत के नाम से 
आंखें नम हो जाती हैं! 


26 टिप्‍पणियां:

  1. ज़िंदगी को देखने का एक नया नज़रिया, जीवन जैसा मिल रहा है वैसा ही जीना कोई सीख ले तो जीवन हर पल नया ही लगता है

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    1. आपका तहे दिल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय मैम🙏
      आप लोगों का स्नेह और प्यार मुझे लिखने के लिए प्रेरित करता है

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  2. मेरी रचना को चर्चामंच में जगह देने के लिए आपका दिल की गहराइयों से बहुत-बहुत धन्यवाद प्रिय मैम🙏
    आपका सहयोग बहुत मायने रखता है मेरे लिए! 🙏🙏

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  3. जब जिंदगी रेत सी हाथ से फिसल रही होती है, तब लंबी जिंदगी की नहीं, सिर्फ बड़ी जिंदगी की चाह रह जाती है। सच है यह बात। किसी की भी ज़िन्दगी का सबसे बुरा वक़्त वो होता है जब न हसरतें रह जाती हैं, न उनके पूरे होने की उम्मीद। नाउम्मीदी से भरी और टूटे हुए ख़्वाबों को साथ लिए चल रही ज़िन्दगी को जीना और कुछ नहीं, बस अपनी सलीब आप ढोना होता है। ख़ैर. . .।

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    1. आपकी इस टिप्पणी ने मेरी रचना की शोभा और बढ़ा दी रचना का सही भाव समझने के लिए आपका दिल की गहराइयों से बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय सर! आप लोगों की प्रतिक्रिया बहुत मायने रखती है!ये सिर्फ प्रतिक्रिया नहीं,बल्कि प्यार और इसने होता है🙏🙏🙏🙏

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  4. जिंदगी के पहलुओं को छूती शानदार रचना

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    1. मेरा हौसला बढ़ाने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद मैम🙏🙏

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  5. जब जिंदगी रेत सी
    हाथ से फिसल रही होती है!
    तब लंबी जिंदगी की नहीं,
    सिर्फ बड़ी जिंदगी की चाह रह जाती है!
    बहुत सुंदर पंक्तियाँ! यथार्थ को उकेरती रचना!--ब्रजेंद्रनाथ

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    1. जब आप जैसे वरिष्ठ लोग मेरी रचना पर प्रतिक्रिया देते हैं, तो सच में बहुत खुशी होती है, आप लोगों की प्रतिक्रिया बहुत मायने रखती है! मेरे ब्लॉग पर आने के लिए व प्रतिक्रिया देखकर मेरा हौसला बढ़ाने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय सर🙏🙏

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  6. जब मंजिल तक पहुंचने से पहले
    जिंदगी अपनी मंजिल को हासिल
    करने का ठान लेती है!
    तब मंजिल की नहीं,
    सिर्फ खूबसूरत सफर में
    खानाबदोश बनने की चाह रह जाती है!
    पता तो सबको है,
    कि जिंदगी की मंजिल मौत है !
    फिर भी मौत के नाम से
    आंखें नम हो जाती हैं!



    उत्कृष्ट चिंतन से प्रसूत रचना है आपकी मनीषा जी। अलबत्ता मृत्यु और जीवन दो दरवाज़े हैं जीव एक से निकलके दूसरे में सहज ही जाता रहता है। किसी शायर ने खूब कहा है :

    मौत का एक दिन मुऐयन है,

    नींद क्यों रात भर नहीं आती।
    कबीर तो दो हाथ और आगे निकल गए हैं :
    जा मरने से जग डरे मेरे मन आंनद ,
    जब मरिहूँ तब पाइहौं पूरण परमानंद।

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    1. आपका तहे दिल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सर 🙏आप लोगों का प्यार और स्नेह है हमेशा मेरा हौसला बढ़ाता है और मुझे हिम्मत देता है आपका दिल से शुक्रिया🙏🙏🙏

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  7. जिंदगी का अर्थ और मर्म समझाती सुंदर सटीक अभिव्यक्ति । गंभीर चितन और मनन । बहुत बहुत शुभकामनाएं ।

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    1. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार आदरणीय मैम🙏

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  8. बहुत ही सही सुंदर सटीक उत्‍कृष्‍ट लेखन के लिए आभार ।

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  9. बहुत बढ़िया लिखा है। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।

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  10. ज़िंदगी के अफसाने को अलग अंदाज से प्रस्तुत किया है आपने मनीषा जी , शाश्वत है पर सोचने और महसूस करने के नज़रिए भर का फर्क है,वैसे एक सा ही फलसफा होता है इस मौत की मंज़िल की और बढ़ती जिंदगी का।
    सस्नेह सुंदर सृजन।

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    1. आपका बहुत बहुत आभार मैम स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए🙏😊

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  11. मनीषा, यही जिंदगी की सच्चाई है। वो कितनी भी दर्दभरी क्यों न हो मौत के नाम से ही हर इंसान डर जाता है।
    बहुत सुंदर गहनता से परिपूर्ण रचना।

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    1. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार दीदी 🙏

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  12. आभार🙏🙏🙏🙏💜❤🙇‍♀️🙌

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