शनिवार, अक्टूबर 23, 2021

एक लड़ाई उनके लिए जो हमारे लिए अपनी जान न्योछावर कर गए!

जब भी हमारे देश के रक्षक शहीद होते है ,तो आम जनता से लेकर राजनेता सब सभी श्रद्धांजलि अर्पित करके अपना दु:ख प्रकट करते हैं ,अगर इतना ही दु:ख होता है तो क्यों नहीं शहीदों के परिवार के लिए सुविधाओं सारी सुविधाए मुफ़्त कर देते ?क्यो नही उनके बच्चो की शिक्षा मुफ़्त कर देते? सरकारी और निजी हर स्कूल मे चाहे वो कितनी ही बड़ी क्यों न हो ! क्यों नहीं उनकी यात्रा को मुफ़्त कर देते? सरकरी वाहन से के साथ प्राइवेट वाहनो में भी! क्यों नही उनके लिए मुफ़्त इलाज़ की सुविधा सरकारी अस्पताल  के साथ प्राइवेट अस्पताल में भी कर देते? क्यो नही कोई ऐसा कार्ड शहीदों के परिवार के लिए बनाया जाता जिससे वे सरकारी और प्राईवेट हर जगह मुफ्त शिक्षा,इलाज और यात्रा प्राप्त कर सके?जो लोग सोशलमीडिया पर जाबांज सिपाहियों के शहीद होने पर दु:ख प्रकट करते हैं, वे लोग शहीदों के परिवार के लिए आवाज़ क्यों नही बुलंद करते? हमेशा श्रद्धांजलि और सहानुभूति तक ही सीमित क्यों रह जाते हैं? सिर्फ श्रद्धांजलि अर्पित करने और सहानुभूति प्रकट करने से उन लोगों का जीवन नहीं चलने वाला ! जो अपने घर के मुखिया को खो चुके हैं! इमोशनल सपोर्ट के साथ फाइनेंशियल सपोर्ट की भी जरूरत है! क्योंकि जिंदगी क्योंकि जिंदगी सिर्फ प्यार से नहीं चलती जिंदगी जीने के लिए भौतिक सुविधाओं  की सख्त जरूरत होती है! और सिर्फ मुआव़जे से काम नहीं चलेगा!कोई ऐसी योजना चलाने की जरूरत है, जिससे देश के लिए जान दे चुके शहीदों के परिवार की लाइफ सिक्योर हो सके। उनकी वे सभी जरूरतें पूरी हो सकें जिसकी उन्हें आवश्यकता है! पूरी जिंदगी के लिए ना सही पर कम से कम तब तक, जब तक  कि शहीद हुए जवानों के बच्चों की शादी नहीं हो जाती! और अपने पैर पर नहीं खड़े हो जाते ! हमारे लिए जब वे जान दे सकते हैं,तो क्या हमें और हमारी सरकार को उनके परिवार के लिए इतना भी नहीं करना चाहिए कि हमारा फर्ज नहीं बनता कि उनके परिवार की लाइफ को थोड़ा बेहतर और आसान बनाने का? हम उनके लिए कुछ ना सही पर आवाज तो उठा ही सकते हैं, जिस सोशल मीडिया पर हम शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं और उनके प्रति भी संवेदना व्यक्त करते हैं,उसी सोशल मीडिया पर उनके लिए आवाज उठा सकते हैं और सोशल मीडिया को अपना सबसे बड़ा हथियार तो बना ही सकते हैं! 


32 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (24 -10-21) को "मंगल बेला"(चर्चा अंक4227) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. मेरे लेख को चर्चामंच में शामिल करने के लिए आपका दिल की गहराइयों से बहुत-बहुत धन्यवाद प्रिय मैम😊🙏

      हटाएं
  2. आपने मेरे मन की बात कहदी है मनीषा जी . सोशल मीडिया पर उनके लिये लिख रहे हैं वह अच्छा है कम से कम वह दलगत राजनीति की मलिनता तो नहीं , वीरों के प्रति सम्मान है लेकिन यह काफी नहीं है . व्यावहारिक तौरपर शहीदों के परिवारों को जैसी भी बन सके सहायता करनी चाहिये .

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हां मैम आप बिल्कुल सही कह रही मैं आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूंँ

      हटाएं
  3. मनीषा आपने लिखा है कि आप लेखिका नहीं हैं पर आप कितना अच्छा लिखती हैं यह इपके लेख से पता चलता है . लिखती रहें .

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है💐
      मेरे ब्लॉग पर आकर मेरी हिम्मत और मेरा हौसला बढ़ाने के लिए आपका दिल की गहराइयों से बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय मैम🙏🙏🙏

      हटाएं
  4. विचारणीय लेख बिल्कुल सटीक और सार्थक प्रश्न ,प्रेरणा दायक विचार जो सभी सहयोग कर के साकार कर सकते हैं।
    साधुवाद।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. काश की ऐसा हो पाता!
      अगर मेरी लेखनी से थोड़ा भी सुधार आता है तो यह मेरे लिए सबसे कीमती इनाम होगा और मेरे लिए सबसे खुशी की बात ! मेरा लिखना तभी वास्तव में सफल होगा!
      इतनी अच्छी प्रतिक्रिया देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद🙏 अगर मेरी बात वास्तव में सही लग रही है तो आप से इक छोटी सी बिनती है कि इसको अधिक से अधिक लोगों को साझा करें 🙏🙏🙏
      ये मैं अपने किसी फायदे के लिए नहीं बल्कि सिर्फ और सिर्फ उन जाबांज वीरों के परिवार वालो के लिए कह रहीं हूँ, लेकिन हाँ अगर सच में अच्छी है तो!

      हटाएं
  5. बहुत खूब प्रश्‍न उठाया मनीषा जी इस बार कुछ द‍िये जलाकर हम शहीदों को नमन करते हुए उनके पर‍िवारों के प्रत‍ि अपने-अपने कर्तव्‍यों को तो टटोल ही सकते ळैं क‍ि आख‍िर इस सबमें हमने क्‍या योगदान द‍िया। बहुत खूब

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपका तहेदिल से धन्यवाद🙏
      इसे साकार करने के लिए आपका सभी के सहयोग की जरूरत है!
      अगर सब लोग मिल कर एक साथ आवाज उठाये तो ये संभव हो सकता है!
      किन्तु अकेले कुछ भी नहीं हो सकता!कहते हैं न -अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता!
      अगर मेरी बात वास्तव में सही लग रही है तो आप से इक छोटी सी बिनती है कि इसको अधिक से अधिक लोगों को साझा करें 🙏🙏🙏
      ये मैं अपने किसी फायदे के लिए नहीं बल्कि सिर्फ और सिर्फ उन जाबांज वीरों के परिवार वालो के लिए कह रहीं हूँ, लेकिन हाँ अगर सच में अच्छी है तो!

      हटाएं
  6. विचारणीय और सटीक प्रश्न।

    जवाब देंहटाएं
  7. Amazing,Fantastic,Wonderful,Very Nice,

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुंदर सुझाव
    आपका चिंतन पसंद आया..
    इस ब्लॉग का लिंक
    @नरेन्द्र मोदी को ट्विटर पर भेजिए
    100% कार्रवाई होगी ऐसा समझती हूँ
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. भेज दिया है पर मुझे नहीं लगता कि सिर्फ मेरे अकेले ट्वीट करने से कोई कार्यवाही होगी,अगर सभी का साथ मिल जाए तो शायद कोई कार्यवाही भी होगी सकती है,पर अकेले बहुत कम ही चांस है!
      सुझाव देने के लिए आपका तहेदिल से धन्यवाद आदरणीय मैम🙏🙏

      हटाएं
  9. जिनके हक मे कम लोग सोचते हैं उनको उनका हक दिलाने हेतु लिखा गया आज तक के सबसे अच्छे लेखों मे से एक लेख... आपका बहुत-बहुत आभार

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत ही सारगर्भित और सार्थक विचार, ये सच है, कि हम सभी सैनिकों की शहादत पर दुखी होते हैं, श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, परंतु सैनिकों के लिए कोई सार्थक कदम नहीं उठाते, हमें जरूर इस बारे में सोचना चाहिए । मैं तुम्हारे विचार से सहमत हूं । एक सामयिक सटीक आलेख के लिए हार्दिक शुभकामनाएं प्रिय मनीषा ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. मेरे विचार से सहमत होने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार आदरणीय मैम🙏🙏

      हटाएं
  11. बहुत ही सामयिक और सार्थक बात उठाई है आपने अपने सारगर्भित लेख में किया है। बधाई और आभार।

    जवाब देंहटाएं
  12. बिल्कुल सही कहा मनीषा कि सिर्फ सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि देने से कुछ नही होगा। हमे सैनिकों के परिवार की आर्थिक मदद करनी होगी।

    जवाब देंहटाएं
  13. सही कहा आपने पर ऐसा होता कहाँ है बस श्रद्धांजलि के सिवा और कुछ नहीं... किसी को याद भी नहीं रहता कोई शहीद। सुन्दर एवं विचारणीय लेख।

    जवाब देंहटाएं

नारी सशक्तिकरण के लिए पितृसत्तात्मक समाज का दोहरापन

एक तरफ तो पुरुष समाज महिलाओं के अधिकारों और उनके सम्मान की बात करता है और वहीं दूसरी तरफ उनके रास्ते में खुद ही एक जगह काम करता है। जब समाज ...