शुक्रवार, जून 04, 2021

जिन्दगी की शाम

तस्वीर गूगल से

 कहने को उसका पूरा परिवार है,

फिर भी उसकी जिन्दगी विरान है!

परिवार रूपी बगीचे को लगाने वाला माली,

उसी बगीचे की छांव के लिए मोहताज है!

            ◦•●◉✿✿◉●•◦

जिन पौधों को प्रेम और स्नेह 

से सीच कर हरा भरा किया था,

उन्हीं के बीच खुद आज बैठा उदास है!

झुर्रीदार चेहरे में बैचेनिया छुपी हजार है,

पर इस बैचेनियो का किसी को नही एहसास है!

                   ◦•●◉✿✿◉●•◦

जिन्दगी की इस शाम में अकेला वो आज है!

जिससे परिवार रूपी बगीचे में आया बसन्त है

उसी की जिन्दगी में पतझड़ लगा आज है!

जिन हाथो ने छोटी छोटी उंगलियों को 

पकड़ कर चलना सिखाया था,

उन्हीं उंगलियों को खुद पर उठता देख हैरान है!

                     ◦•●◉✿✿◉●•◦

होली के रंग तो उसके चेहरे पर लगे है, 

पर जिन्दगी में फीके खुशियों के रंग है!

पास होकर भी कोई नही उसके साथ है!

जो कंधे बच्चों को पूरे मेेेले की सैैैर कराया करते थे,

उन्हीं की जिन्दगी एक काठ की छड़ी पर टिकी आज है!

                      ◦•●◉✿✿◉●•◦

जिन्दगी के इस सफर में आकेला वो आज है,

बच्चों की तरह वो खुद से करता रहता संवाद है!

फिर भी अपने बच्चों की 

खुशियों के लिए हर पल करता फरियाद है!

आखिर वो इक बाप है! 

25 टिप्‍पणियां:

  1. यह नहीं भूलना चाहिए कि जो आज युवा हैं कल वे भी वृद्ध होंगे ही।
    बुजुर्गों के प्रति सम्मान का भाव रखने का संदेश देती प्रेरक रचना।

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 06 जून 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. मेरी पोस्ट को चर्चा मंच में सामिल करने के लिए तहेदिल से धन्यवाद

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  3. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (6 -6-21) को "...क्योंकि वन्य जीव श्वेत पत्र जारी नहीं कर सकते"(चर्चा अंक- 4088) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    --
    कामिनी सिन्हा

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    उत्तर
    1. मेरी पोस्ट को चर्चा मंच में सामिल करने के लिए तहेदिल से धन्यवाद

      हटाएं
  4. धन्यवाद सर🙏🙏🙏🙏🙏

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  5. उत्तर
    1. आपका बहुत बहुत आभार और धन्यवाद🙏

      हटाएं
  6. हर एक कि ज़िन्दगी का सत्य यही है । बेहतरीन

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    उत्तर
    1. आपका बहुत बहुत आभार और धन्यवाद🙏

      हटाएं
  7. हृदय स्पर्शी सराहनीय सृजन।हर बंद लाजवाब।
    सादर

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  10. वाह सराहनीय सृजन ।
    वक़्त की बस यही कहानी है ।
    खूब !!

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  11. आखिर एक वो बाप है.
    बुजुर्गों के लिए समय नहीं निकाल पाते उन्हीं के पाले पोषे बच्चे. ये बड़ी दुविधा है.
    हृदयस्पर्शी रचना बहुत सुंदर.
    मैंने ऐसे विषय पर; जो आज की जरूरत है एक नया ब्लॉग बनाया है. कृपया आप एक बार जरुर आयें. ब्लॉग का लिंक यहाँ साँझा कर रहा हूँ-
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    1. आपका बहुत बहुत आभार और धन्यवाद🙏

      हटाएं
  12. आपका बहुत बहुत आभार और धन्यवाद🙏

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