तस्वीर गूगल से |
बात 𝟮𝟬𝟭𝟵 की है, जब मैनें शिक्षक दिवस पर शिक्षकों को तोहफ़े में पौधे दिये थे, मुझे पता था, कि हर कोई उसकी कीमत नहीं समझेगा ! इस लिए पौधे के साथ कुछ चीजे उपहार स्वरूप भेंट की थी! सभी शिक्षकों ने खुशी - खुशी मेरे तोहफ़े को स्वीकार कर लिया और मेरे भौतिक विज्ञान के सर बोले इससे बेहतर उपहार कुछ और हो ही नही सकता ! तारीफ़ का पुल ही बांध दिया था उन्होंने ! मैं बहुत खुश हुई, क्योंकि मुझे पता बहुत लोग मेरा मज़ाक बनाएंगे पर सर की तारीफ़ के बाद सब के मुहं बंद थे! जब मैंने ये तोहफ़े दिये थे तब मैं वहाँ की पढ़ाई पूरी कर चुकी थी इसलिए बाद में मुझे मेरी बहन से पता चला कि जो सर मेरी तारीफ़ के पुल बांध रहें थे ,वो पौधें को अपने घर ले जाने में शर्म महसूस कर रहे थे, इसलिए पौधें को स्कूल में ही छोड़ दिया! ये सुन कर मुझे दु:ख तो बहुत हुआ और उससे भी ज्यादा सर पर गुस्सा आया! सर को लगा होगा कि बड़ी बड़ी बातें करना भी तो प्रकृति से प्यार है!पर सिर्फ बड़ी बड़ी बात करने और अच्छे लेख ,कविता लिखने या सोशलमीडिया पर अच्छी-अच्छी पर्यावरण दिवस की पोस्ट डालने से पर्यावरण स्वच्छ नहीं होने वाला ये बात हम सब को समझनी चाहिए!जितनी अच्छी पोस्ट और बातें हो कम से कम उतना ही अच्छे जमीन पर काम होना चाहिए हमारा ! तभी पर्यावरण शुद्ध और स्वच्छ होगा! आये दिन लोग स्टेट्स डालते रहते हैं कि सांसें हो रहीं कम,आओ पेड़ लगाएं हम, सोशलमीडिया पर नहीं जमीन पर पेड़ लगाना जरूरी है सिर्फ सोशलमीडिया पर लगाने कुछ नहीं होने वाला! प्रकृति हमारी सबसे बड़ी और कीमती धरोहर है,जिसे समहाल कर रखना हमारी जिम्मेदारी है,जिस तरह से हमारे पूर्वजों ने हमारी प्रकृति को स्वच्छ और सुंदर बना कर हमें एक बहुत ही कीमती धरोहर के रूप में दिया वैसे ही हमारी भी जिम्मेदारी है ,कि हम आने वाली पीढ़ी को एक स्वच्छ और सुंदर वातावरण भेंट स्वरुप दें। जिससे उनका जीवन सुखदायक आरामदायक बन सके।यदि हम ऐसा नहीं कर पाते है, तो हमें नई पीढ़ी को भी जन्म नहीं देना चाहिए।जब उनके पास सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा और पीने के लिए स्वच्छ पानी,खाने के लिए स्वच्छ भोजन नही रहेगा तो जीवन यापन कैसे करेगें?कितने दिन तक वो ऑक्सीजन सिलेंडर और फिल्टर पानी से जी सकेगे?चलो मान लेेेते हैं कि मानव जाति स्वच्छ पानी , स्वच्छ हवा और स्वच्छ भोजन के लिए कोई यंत्र बना लेगा जिससे सब रखच्छ हो जाएगा ,लेकिन पशु , पक्षियों और अन्य जीवों का क्या?क्या बाकी जीव,जन्तु और वनस्पति के बिना मनुष्य का जीवन संभव है?सच तो ये है कि बिना प्रकृति के जीवन की कल्पना करना मुर्खता है।बिना प्रकृति के जीवन असम्भव है।यह ऐसी समस्या है जिससे सिर्फ मानव जाति को ही नहीं बल्की समस्त प्राणी के लिए खतरा है। ये बहुत ही चिन्ता का विषय।हमारी सरकार ने प्रकृति को बचाने के लिए कुछ योजना चला रखी है ,जो काफी नहीं है।कठोर कदम उठाने की जरूरत है।जैसा कि जुलाई महीनें को पौधारोपण महीनें के रूप मे मनाया जाता और लाखों की संंख्या में पौधें लगाएं जाते हैं, पर अगले साल उनकी संख्या बहुत कम ही रहती है।क्योंकि ग्राम प्रधान , सरकारी अधिकारी और अन्य लोग सरकार के दबाव में पौधा रोपण तो कर देते हैं पर दुबारा उसकी खबर तक नहीं लेते! महाशय को इतनी फुर्सत कहाँ! कुछ तो और भी महान प्राणी हैं जो पौधारोपण करवाते ही नहीं पर सरकारी कागज़ात पर वृक्षारोपण हो जाता है ! इस लिए सिर्फ बड़े बड़े अभियान चलाना काफ़ी नहीं है !उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है ,कि अभियान छोटा ही क्यों ना हो पर उसकी पूरी निगरानी होनी चाहिए! और सरकार को चाहिए कि वृक्षारोपण अभियान को सफल बनाने के लिए हर ग्राम पंचायत, हर नगरपालिका मोहल्ले में ऐसे लोगो का समूह तैयार करें , जो पौधे की देखदख करें , जो पैसे के लिए नहीं , सिर्फ पर्यावरण के लिए काम करे जो प्रकृति प्रेमी हो और तनख्वाह के तौर पर एक साल पूरे हो जाने के बाद पुरस्कार देना चाहिए वो भी तब ,जब 60% से अधिक पौधें को बचाने में सफल रहतें हैं तो ,ऐसे ही प्रतिशत के हिसाब से पुरस्कारों की कीमत अलग - अलग होनी चाहिए!अधिक प्रतिशत वाले को अधिक कीमती पुरस्कार देना चाहिए! मुझे लगता है इसमें सिर्फ वही लोग भाग लेगें जो सच में प्रकृति प्रेमी हैं! क्योंकि इसमें तनख्वाह नहीं मिलेगा! प्रकृति को बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है सिर्फ सरकार की नहीं !
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (1 -6-21) को "वृक्ष"' (चर्चा अंक 4083) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
मेरी पोस्ट को चर्चा मंच में सामिल करने के लिए तहेदिल से धन्यवाद
हटाएंसार्थक लेख ।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत धन्यवाद और आभार 🙏🙏
हटाएंवाह,बहुत बढ़िया लिखा है अपने।
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏🙏धन्यवाद सर🙏🙏🙏🙏
हटाएंThat's Amazing
जवाब देंहटाएंThank you so much😊😊😊
हटाएंसरकार को चाहिए कि वृक्षारोपण अभियान को सफल बनाने के लिए हर ग्राम पंचायत, हर नगरपालिका मोहल्ले में ऐसे लोगो का समूह तैयार करें , जो पौधे की देखदख करें , जो पैसे के लिए नहीं , सिर्फ पर्यावरण के लिए काम करे जो प्रकृति प्रेमी हो और तनख्वाह के तौर पर एक साल पूरे हो जाने के बाद पुरस्कार देना चाहिए वो भी तब ,जब 60% से अधिक पौधें को बचाने में सफल रहतें हैं तो ,ऐसे ही प्रतिशत के हिसाब से पुरस्कारों की कीमत अलग - अलग होनी चाहिए! अधिक प्रतिशत वाले को अधिक कीमती पुरस्कार देना चाहिए!
जवाब देंहटाएं𝐖𝐨𝐰😍 𝐓𝐡𝐚𝐭'𝐬 𝐚𝐦𝐚𝐳𝐢𝐧𝐠👍 𝐢𝐝𝐞𝐚💡𝐈 𝐭𝐡𝐢𝐧𝐤 𝐖𝐞 𝐜𝐚𝐧 𝐝𝐨 𝐢𝐭!
𝐕𝐞𝐫𝐲 𝐧𝐢𝐜𝐞 𝐩𝐨𝐬𝐭 .𝐂𝐚𝐫𝐫𝐲 𝐨𝐧 👍👍👍👍
Thank you so much😇😇😇😇😇
हटाएंअच्छी पोस्ट है लेकिन इस विषय पर सभी को जिम्मेदार होना होगा, सरकार वही करेगी जो हम चाहेंगे लेकिन होता ये है कि अधिकांशत हम सरकारों की ओर देखने लगते हैं...प्रकृति पर कार्य सभी ो समान करना होगा, आम आदमी को इसकी अगुवाई करनी होगी।
जवाब देंहटाएंहाँ सर आप बिलकुल सही कह रहे हो! प्रकृति हमारी सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण धरोहर है, जिसे समहाल कर रखना हम सबकी जिम्मेदारी है किसी एक के बस की बात नहीं जिम्मेदारी है ,
हटाएंकितने दिन तक वो ऑक्सीजन सिलेंडर और फिल्टर पानी से जी सकेगे...चलो मान लेती हूँ मानव जाति स्वच्छ पानी , स्वच्छ हवा और स्वच्छ भोजन के लिए कोई यंत्र बना लेगा जिससे सब रखच्छ हो जाएगा ,लेकिन पशु , पक्षियों और बाकी जीवों का क्या...क्या बाकी जीव, जन्तु और वनस्पति के बिना मनुष्य का जीवन संभव है...ये वो प्रश्न हैं जिन्हें हमें स्वयं के भीतर मथना होगा और अबबस और नही की तर्ज पर संकल्प लेना होगा। बहुत खूब लिखा मनीषा।
जवाब देंहटाएंहाँ बिलकुल हम सबको संकल्प लेना होगा जिस तरह हम अपने परिवार की रक्षा और देखरेख करते हैं वैसे ही हमें अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए और खुद के लिए पर्यावरण की देखरेख और रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है जिससे कोई भी मुंह नहीं मोड़ सकता!
हटाएंबहुत उपयोगी आलेख आपका।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदरता से आपने हर पहलू पर प्रकाश डाला है ।
यथार्थ पोस्ट कि हम अपनी पीढ़ी यों को आखिर क्या दे जायेंगे।
सार्थक।
वही तो हम सब को अपनी अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और एक साथ मिलकर पर्यावरण को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए! आभार आपका!
हटाएंपर्यावरण के प्रति जागरूकता की जोत जलाता बहुत बढ़िया लेख। आप यूँ ही लिखते रहें, मनीषा और अपने नाम की सार्थकता भी यूँ ही प्रमाणित करती रहें। इतने सुंदर और सामयिक लेख के लिए आभार, बधाई और भविष्य की शुभकामनाएं!!!!
जवाब देंहटाएंसर आपको तहेदिल से धन्यवाद और आभार आपने हमारे ब्लॉग को पढ़ने के लिए समय निकाला और मेरा हौसला बढ़ाने के लिए 🙏🙏🙏🙏🙏
हटाएंबहुत ही सार्थक एवं सारगर्भित लेख लिखा है आपने...।सही बात है सोशल मीडिया में नहीं जमीन में वृक्ष लगायें... पर्यावरण सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं हम सबकी जिम्मेदारी है...।वृक्षारोपण के बाद वृक्षों की देखभाल का जो उपाय एवं समाधान आपने दिया यदि उस पर चिन्तन किया जाय तो अच्छे परिणाम की उम्मीद की जा सकती है....वरना वाकई हमें सोचना चाहिए कि हम अपनी आने वाली पीढियों को कैसा पर्यावरण सौपेंगे।
जवाब देंहटाएंलाजवाब एवं सारगर्भित लेख हेतु बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।
हाँ मैम,मैं आये दिन देखती हूँ लोग व्हाट्सएप स्टेट्स और अन्य सोशलमीडिया प्लेटफार्म पर सिर्फ पौधारोपण करते हैं और जमीन पर नहीं जैसे सांसें हो रही कम, आओ पेड़ लगाएं हम 🌳🌳🌳🌲🌴
हटाएंबस इतना ही करते हैं हमें समझना होगा कि दिखावे से पर्यावरण शुध्द नहीं होने वाला!
मेरे लेख को पढ़ने और अपनी राय व्यक्त करने के लिए आपको तहेदिल से धन्यवाद आती रहना 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
सही लिखा है ... स्वयं सबको आना होगा तभी कुछ सम्भव है ... प्राकृति का विनाश भी हमने किया है हमें ही इसको बढ़ाना होगा नहीं तो ये विनाश अब हमारे दरवाजे पर ही खड़ा है ...
जवाब देंहटाएंवही तो सर हर एक को अपनी जिम्मेदारी समझनी पड़ेगी! हर किसी से जितना बन पड़े पर्यावरण बचाने के लिए उतना काम करना पड़ेगा तभी पर्यावरण को बचाया जा सकता है ये कहने से काम नहीं चलेगा कि मेरे एक पेड़ लगाने से क्या जब दश लोग काटने में जुटे हैं! एक एक पौधें का महत्व समझना पडे़गा! धन्यवाद सर 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
हटाएंपर्यावरण को लेकर बहुत सटीक प्रश्न उठाया है मनीषा आपने,आपकी हर बात से सहमत हूं, कि जमीन पर पौधारोपण होना चाहिए न कि कागज या सोशल मीडिया पर,हम सभी कोप्रकृति को संरक्षित करने की दिशा में कदम उठाने होंगे। सार्थक लेखन ।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार और धन्यवाद मैम 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
हटाएंउचित बात कही है आपने. लोग औपचारिकता में पौधे तो लगा लेते हैं मगर उनकी देखभाल नहीं करते. कुछ ऐसे हैं जो बस फोटो खिंचवाने तक ही पौधों के साथ रहते हैं.
जवाब देंहटाएंहाँ सर आप बिल्कुल सही कह रहे हैं लोग अक्सर पौधारोपण दिखावे के लिए या औपचारिकता के लिए ही करते हैं जो कि अत्यंत चिंताजनक है🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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