तस्वीर गूगल से |
देखती हूँ जब भी एक पिता का उतरा हुआ चेहरा,
लड़की होने पर अफ़सोस होता है मुझे !
सोचती है काश लड़का होती,
और एक बाप के सिर का बोझ न होकर ,सहारा होती,
लड़की होना गुनाह नहीं पता है मुझे ।
पर दहेज रूपी दानव के कारण एक पिता के सिर का बोझ हूँ मैं ,
महसूस कर सकूँ उसके दर्द को
अभी इतनी काबिल नहीं मैं।
सपनो के खातिर नहीं लड़ सकती अपनो से ,
क्योंकि अपनो से जीतना नहीं , अपनो को जीतना है मुझे!
देख कर एक बाप को अपनी छोटी छोटी ख्वाहिशों के समझौता करते हुए
ख्वाहिश बन रह कर जातीं हैं इच्छाएँ मेरी ,
छुपाती रहती हूँ उसकी नज़रो से खुद को ,
कि लड़की रूपी बोझ का एहसास ना हो उसको
मेरी बड़ती उम्र के साथ उसकी चिंताएँ बड़ रही है,
पता है मुझे!
सपने सच होने से पहले हाथ पीले हो जाएगें,
पर ये पीले हाथ मेरे सपने सच होने से नहीं रोक पाएंगे!
आज भले ही बोझ हूँ पर एक दिन पर दिन गर्व का कारण बनूंगी!
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (22 -6-21) को "अपनो से जीतना नहीं , अपनो को जीतना है मुझे!"'(चर्चा अंक- 4109 ) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
--
कामिनी सिन्हा
आपका बहुत बहुत आभार और हृदय तल से धन्यवाद🙏🙏🙏🙏🙏
हटाएंबहुत मार्मिक लिखा है. यह आज के समाज में पिता का सच है. पिता पर बोझ नहीं गर्व का कारण बने बेटी, यह हौसला ज़रूरी है. शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
हटाएंबेहद मार्मिक....। बेटी पिता का मान भी होती है...। गहन रचना के लिए बधाई...।
जवाब देंहटाएंमैं आपकी भावनाओं को समझ रहा हूँ और आपके साहस एवं दृढ़ निश्चय की सराहना करता हूँ।
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
हटाएंमनिषा, मुझे पूरविश्वास है कि एक न एक दिन आपके पिता को आप पर गर्व होगा। बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मैम मेरी पूरी कोशिश यही है!और हमारी जिम्मेदारी भी है कि हम अपने अभिभावक को गर्व महसूस कराये क्योंकि वो माँ बाप ही होते हैं जो निस्वार्थ भाव से हमारे लिए खुशियों के खातिर अपने ख्वाहिशों के साथ समझौता करते हैं!
हटाएंबेहद मार्मिक पर उम्दा रचना
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
हटाएंबहुत बहुत सुन्दर सराहनीय अभिव्यक्ति |
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏🙏🙏🙏
हटाएंसमय की कसौटी पर सदियों से कसी जाती है बेटियाँ,दहेज रुपी दानव का अभिशाप निगल जाता है बेटियों का जीवन।
जवाब देंहटाएंबहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ति।
सादर
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
हटाएंसार्थक सोच और हृदय स्पर्शी सृजन।
जवाब देंहटाएंएक बेटी के सुंदर उद्गार।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
हटाएंबहुत ही सुंदर सृजन l
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
हटाएंशीर्षक ही बहुत सुंदर है रचना की क्या तारीफ की जाये बहुत सुंदर|
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏🙏
हटाएं🙏🙏🙏
प्रिय मनीषा , आपने मन के भाव बहुत ईमानदारी और बेबाकी से लिखे हैं | हर लडकी शायद इसी प्रकार से मनोभावों से जूझकर बड़ी होती हैं |फिर भी यही कहूँगी --
जवाब देंहटाएंजो तूफानों उलझती है - वही कश्ती भाव से पार होती है | इतनी संवेदनशील बेटी बोझ नहीं , पिता का मान और अभिमान होती है | ईश्वर आपके सभी सपने पूरा करे यही दुआ करती हूँ | तुम्हारे सभी सपने पूरे हों | मेरा प्यार और शुभकामनाएं|
आपकी इस टिप्पणी के लिए मैं शब्दों में आभार व्यक्त नही कर सकती!आप सभी की प्यार भरी प्रतिक्रिया हमारे लिए कितनी मायने रखती है ये शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है!🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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