रविवार, फ़रवरी 13, 2022

युवा वर्ग अपनी जिम्मेदारी को पहचाने

जिस तरह से कर्नाटक में ही हिजाब पहनकर कक्षाओं में प्रवेश ना देने की वजह से देश के विभिन्न हिस्सों में विवाद उपज रहा है। यह छात्राओं संकीर्ण सोच को दर्शा रहा है विद्यालय एक ऐसा स्थान जहां सभी को एक समान माना जाता है ना कोई हिंदू होता ना कोई मुस्लिम सभी सभी का एकमात्र धर्म होता है और वह होता है शिष्य धर्म।इसलिए सभी विद्यार्थियों को धर्म धर्म ,जाति से ऊपर छात्र धर्म को रखने की जरूरत है। जैसे डॉक्टर की नजर में एक मरीज का कोई धर्म जाति नहीं होता सिर्फ और सिर्फ मरीज होता है और मरीज की जान बचाना डॉक्टर का कर्तव्य होता है, 
वैसे ही एक शिक्षक की नजर में विद्यार्थियों का कोई धर्म और जाति नहीं होता है सभी एक समान होते हैं जिन्हें शिक्षा देना अध्यापक का मुख्य कर्तव्य होता है और वह अपने कर्तव्य का पूरी निष्ठा से पालन करने की कोशिश करता है ठीक उसी तरह छात्र-छात्राओं को भी चाहिए कि वह धर्म जाति या वर्ग से हटकर विद्यार्थी होने के कर्तव्य का पालन पूरी निष्ठा से करें और उनके मन में ऐसे भाव होने चाहिए कि उन्हें शिक्षण संस्थाओं में एक विद्यार्थी के रूप में पहचाना जाना चाहिए ना कि किसी धर्म या जाति के रूप में। साथ ही हमारा देश विविधता में एकता ही हमारी विशेषता के लिए दुनिया में जाना जाता है। इसलिए इस विशेषता को बनाए रखने की जरूरत है। देश की एकता को बनाए रखने की जरूरत है। अगर ऐसा नहीं करते हैं तो इससे हमारे देश की छवि पर बहुत ही बुरा असर पड़ेगा वैसे भी दुनिया के तमाम देश निगाह गड़ाए बैठे रहते हैं हमारे देश पर और ऐसे मौके की तलाश में रहते हैं कि कब ऐसा मौका मिले जिससे हमारे देश की छवि दुनिया के सामने खराब कर सकें। जिस तरह कुछ उग्र धार्मिक संगठन और राजनीतिक पार्टियां अपनी रोटी सेकने के चक्कर में विद्यार्थियों का इस्तेमाल करके आग में घी डालने का काम कर रही है और दुर्भाग्यपूर्ण है कि विद्यार्थी आसानी से उनके जाल में फंस रहें हैं और अशोभनीय हरकत कर रहें हैं।
ऐसे में विद्यार्थी अपने पैर पर तो कुल्हाड़ी मार ही रहे हैं पर देश की शांति व्यवस्था को भी भंग कर रहे हैं सभी विद्यार्थियों को अपने तर्क शक्ति का इस्तेमाल करने की जरूरत है ना की किसी के हाथ की कठपुतली बनकर उनके इशारे पर नाचते रहने की,क्योंकि इससे उनका ही नुकसान होगा।भविष्य में ऐसी कोई भी हरकत करने से बचने की सख्त जरूरत है जिससे हमारी एकता में फूट डाला जा सके और विविधता में एकता यही हमारी विशेषता यह एक स्लोगन मात्र बन कर रह जाए। हाई कोर्ट का आखिरी निर्णय आने तक सभी को शान्ति व्यवस्था कायम रखने की जरूरत है और शांति पूर्वक शैक्षिक संस्थाओं के नियमों का पालन करने की जरूरत है।युव हमारे देश की सबसे बड़ी ताकत है और इस ताकत का सही से उपयोग करने की जरूरत है।

15 टिप्‍पणियां:

  1. छात्र स्कूलों में पढ़ने जाते है न कि धर्म का प्रचार करने यह बात सबको समझनी होगी। बहुत सुंदर विचारणीय पोस्ट। अखबार में प्रकाशित होने की बधाई,मनीषा।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय मैम🙏
      आप बिल्कुल सही कह रहीं हैं स्कूलों में पढ़ने जाते हैं न कि धर्म का प्रचार करने!

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  2. आपका तहेदिल से बहुत बहुत धन्यवाद प्रिय मैम मेरे लेख को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए🙏💕

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  3. बहुत सुंदर विचारनीय पोस्ट,, शुभकामनाएँ ।

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  4. चिंतनपूर्ण विषय पर सार्थक और विचारणीय आलेख । बहुत शुभकामनाएं ।

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  5. समस्या की जड़ तक जाना और उसका हल भी सुझाना, यह दोनों बातें इस लेख में कही गयी हैं, प्रभावशाली लेखन!

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    1. तह दिल से बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय मैम🙏

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  6. मनीषा, तुम्हारा आलेख अच्छा लग.
    हिजाब का पालन करने वाली सभी औरतें, लड़कियां जाहिल हैं और देश-समाज की प्रगति में एक बहुत रोड़ा हैं.
    लेकिन हिजाब के विरोध में आज जो भी कुछ हो रहा है, वह पांच राज्यों में हो रहे चुनाव में हिन्दू वोट के ध्रुवीकरण के उद्देश्य से हो रहा है.
    इन दिनों हिजाब के विरोध में खड़े ये सारे प्रगतिशील चुनाव ख़त्म होते ही ख़ुद लड़कियां छेड़ने में या फिर उनका अन्य तरीकों से दमन-शोषण करने में व्यस्त हो जाएंगे.

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    1. जी सर आप बिल्कुल सही कह रहे हैं यह सब सिर्फ चुनाव में हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण के उद्देश्य से ही हो रहा है!
      और दुर्भाग्यपूर्ण है कि छात्र इसमें पूरा साथ दे रहे हैं राजनेताओं का! सब जानकर अनजान बने हुए हैं सबको पता है कि यह सब अपना उल्लू सीधा करने के लिए किया जा रहा है लेकिन कोई यह नहीं समझ रहा कि इससे हमारी एकता और अखंडता पर कितना बुरा असर पड़ेगा इससे हमारे बीच कितने फूट पड़ेगी!
      इतनी विस्तृत प्रतिक्रिया के लिए आपका तहे दिल से धन्यवाद आदरणीय सर🙏

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    2. सटीक विश्लेषण किया सर मुद्दा चुनाव है।
      सादर

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  7. वाह! प्रिय मनीषा जी सराहनीय आलेख।
    विचारों की विडंबना कहें या समझ का आभाव बहुत कुछ ऐसा है समाज में जो इसे दीमक की तरह खोखला कर रहा है।
    गज़ब लिखते हो।
    बहुत सारा स्नेह

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    1. सुप्रभात प्रिय मनीषा जी।
      आपको सम्मान देखकर मैं स्वयं को एक भाव से मुक्त करती हूँ।
      अच्छा नहीं लगता सखी सीधा पुकारना।
      मैं स्नेह से पुकारती हूँ।
      बहुत सारा स्नेह खूब लिखो।

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    2. आपको जो सही लगे आप कह सकती हैं प्रिय मैम
      मनोबल संवर्धन करती उपस्थिति और प्यारी सी स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए के लिए हृदय से असीम धन्यवाद🙏

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