शुक्रवार, जुलाई 30, 2021

बुझी हुई उम्मीदों में खुद ही आशाओं के दिये जलाने पड़ते है!

तस्वीर गूगल से
कहने को सब पास होते है, 
पर बुरे वक्त में ,
सब साथ छोड़ देते हैं! 
सूख जाते है
आंसू यूं ही आंखों में
पर उसकी खबर
लेने वाला कोई नहीं होता है! 
टूट जाती हैं ,
जब सारी उम्मीदे तो
अपने भी मुंह मोड़ लेते है! 
बंद हो जाते है
जब सारे रास्ते, 
तो खुद ही रास्ते बनाने पड़ते है! 
बुझी हुई उम्मीदों में
खुद ही आशाओं के
दिये जलाने पड़ते है! 
पांव में पडे़ छाले को
खुद ही मरहम लगाने पड़ते है! 
कहने को सब पास होते है
पर पास होकर भी 
बहुत दूर होते है!
अंधेरे में तो खुद के साये भी
साथ छोड़ देते हैं
अकेले ही लड़नी होती है
हर लड़ाई लोगों का सैलाब 
तो जीतने के बाद उमड़ता है! 

 

31 टिप्‍पणियां:

  1. सच को शब्दों में प्रस्तुत किया है।

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  2. बहुत सुंदर और सकारात्मक भावों से सजी रचना!

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  3. अपना दीपक आप बनो ।
    हर हाल में खुद पर विश्वास और मन में आस रखने वाला ही कामयाब होता है ।
    सत्य को उजागर करती अच्छी रचना

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    1. आपका बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय मैम 🙏

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  4. सुंदर सकारात्मक तथा प्रेरक रचना।

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  5. आपका बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय मैम 🙏

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  6. बिलकुल ठीक कहा मनीषा जी आपने। कुछ भूली-बिसरी पंक्तियां याद आ गईं आपकी इस रचना को पढ़कर:

    दर्द पैग़ाम लिए चलता है
    जैसे कोई चिराग़ जलता है
    कौन किसको यहाँ सम्भालेगा
    आदमी ख़ुद-ब-ख़ुद सम्भलता है

    अभिनंदन एवं शुभकामनाएं।

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    1. बिल्कुल सही कहा आपने सर
      आपका बहुत बहुत धन्यवाद सर🙏

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  7. टूट जाती हैं ,
    जब सारी उम्मीदे तो
    अपने भी मुंह मोड़ लेते है!
    बंद हो जाते है
    जब सारे रास्ते,
    तो खुद ही रास्ते बनाने पड़ते है
    बहुत सटीक.... बस अपने पर विश्वास रखना चाहिए
    बहुत सुन्दर सृजन।

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  8. अकेले ही लड़नी होती है
    हर लड़ाई लोगों का सैलाब
    तो जीतने के बाद उमड़ता है!
    --परम सत्य है...लेकिन आपके साथ जो दर्द में साथ चलें फिर अकेला ही क्यों न हो वह उस अंबार से लाखों गुना बेहतर है...। अच्छी और गहरी रचना।

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    1. बिल्कुल सही सर
      आपका बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सर🙏🙏🙏🙏

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  9. यथार्थपरक कविता हार्दिक शुभकामनाएं।सादर अभिवादन

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  10. सही कहा स्वयं का आत्म विश्वास और दृढ़ता ही आशा का वितान ताने रखता है ।
    सुंदर सार्थक सृजन।

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    1. आपका बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय मैम🙏🙏🙏

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  11. यथार्थ के धरातल पर उकेरी हृदयस्पर्शी रचना ।

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  12. अंधेरे में तो खुद के साये भी
    साथ छोड़ देते हैं
    अकेले ही लड़नी होती है
    हर लड़ाई लोगों का सैलाब
    तो जीतने के बाद उमड़ता है!
    बहुत सटीक अभिव्यक्ति।

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  13. ������ very nice.
    रिश्तों की खनक :
    रिश्ते-रिश्तेदारों की झ्क अनुठी सी होड़ है।
    अन्धों की वस्ती में उजालों कि शोर है..... ।

    भरोसा :
    धुप छांव का क्या भरोसा,
    आज निशा कल सवेरा .... ।
    http://feelmywords1.blogspot.com

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    1. वाह! क्या बात कही है आपने सर एकदम सही! धन्यवाद सर🙏🙏

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  14. प्रिय मनीषा , खुद को ही रास्ता दिखाती रचना के लिए ढेरों बधाई |सच है अपनी हिम्मत से जो इंसान सफलता पाता है वो लोगों की सराहना का पात्र सहज ही हो जाता है | आखिर दुनिया का चलन ही चढ़ते सूरज को सलाम करना है |

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    1. आप बिल्कुल सही कह रहीं हैं मैम! आपका सहृदय धन्यवाद🙏💕

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  15. बहुत बहुत सुन्दर सराहनीय रचना

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