तुम कहते हो मैं मौन रहूँ,जब पानी सर से बह रहा,तो कैसे मैं चुप- चाप सहू?क्या डूबने का इंतज़ार करूँ?दम घुट रहा है अब मेरा,और तुम कहते हो थोड़ा धैर्य धरूं!क्या आखिरी सांस का इंतज़ार करूँ?जब पानी सर ....................व्यंग्यों के चुभते बाणों को,कैसे मैं दिन रात सहूँ?जो घायल करते मेरे हृदय को,उन पर कैसे ना पलटवार करूँ?हद से अधिक सहनशीलताकायरता कहलाती है!फिर कैसे मैं चुप- चाप रहूँ?वे करते हैं अस्त्र- शस्त्र से वार,मैं कलम से भी ना प्रहार करूँ?तुम्हें शोभा देता होगा चुप रहना,पर मेरे लिए धिक्कार है!जब पानी सर...........चीरहरण हो रहा द्रोपदी काकैसे मैं नज़रअंदाज़ करूँ?जी करता है उस हैवान के प्राण हरूँ,और तुम कहते हो,मैं जीना भी ना दुशवार करूँ!जो क्षमा के पात्र नहीं,उसकी दया यचिका,कैसे मैं स्वीकार करूँ?माफ़ी गलती की दी जाती है,गुनाहों को कैसे मैं माफ़ करूँ?जब पानी सर............
पहले पढ़ने का शौक था अब लिखने की बिमारी है।ये कलम कभी न रुकी थी, न ही आगे किसी के सामने झुकने और रुकने वाली है।क्योंकि कलम की जिंदगी में साँसें नहीं होतीं।कवयित्री तो नहीं हूँ पर अपनी भावनाओं को कविताओं के जरिए व्यक्त करती हूँ।लेखिका भी नहीं हूँ लेकिन निष्पक्ष लेखन के माध्यम से समाज को आईना दिखाने का दुस्साहस कर रही हूँ।
मंगलवार, मई 18, 2021
जब पानी सर से बह रहा, फिर कैसे मैं मौन रहूँ?
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वाह।
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏🙏धन्यवाद सर🙏🙏🙏🙏
हटाएंबिलकुल ठीक कहा आपने। माफ़ी ग़लती की दी जाती है, गुनाहों की नहीं। ख़ामोश रहने की कोई ज़रूरत नहीं बल्कि बोलना ही ठीक है जब पानी सर से गुज़र रहा हो। बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे।
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏🙏धन्यवाद सर🙏🙏🙏🙏
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत धन्यवाद और आभार 🙏🙏
हटाएंबहुत सुन्दर है आप की कविता 👌👌
जवाब देंहटाएंशुक्रिया 🙏🙏🙏
हटाएंहद से अधिक सहनशीलता
जवाब देंहटाएंकायरता कहलाती है! अवश्य...खामोशी अच्छी होती है लेकिन वह मनन के लिए हो तब, यदि वह अत्याचार को लेकर है तब उसका चीखना ही बेहतर है, वह भी पूरी ताकत से। अच्छी रचना है।
Nice post dear💕👍👍👍👍
जवाब देंहटाएं𝗧𝗵𝗮𝗻𝗸 𝘆𝗼𝘂😊😊😊
हटाएंबहुत खुद प्रिय मनीषा | जब कोई अव्यवस्थाओं से असंतुष्ट होता है उसे जरुर आइना दिखाने के लिए आगे आना चाहिए | कलम ही प्रबुद्ध लोगों की ताकत है | यूँ ही लिखती आगे बढती रहो | मेरी शुभकामनाएं|
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏धन्यवाद मैम🙏🙏🙏🙏
हटाएंचुप्पी हर सवाल का जवाब नहीं है! वक़्त आने पर ये टूटनी ही चाहिए! हम अक्सर निजी जीवन में तभी आवाज़ उठाते हैं जब ज़्यादती हो या हद पार हो जाए पर हद पार हो तभी कुछ कहें, ऐसी नौबत नहीं आने देना चाहिए!
जवाब देंहटाएंहाँ मैम आपने बिल्कुल सही कहाहम अक्सर निजी जीवन में तभी आवाज़ उठाते हैं जब ज़्यादती हो या हद पार हो जाती है 🙏🙏🙏धन्यवाद मैम🙏🙏🙏🙏
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