जज्बा है तुझ में
मत डर इन छोटी छोटी कठिनाइयों से
अभी तो तूफानों से लड़ना है तुझे!
मत दे ध्यान इन बातों पर,
कि कौन हंस रहा तुझ पर!
छूना है हर उचाईयों को,
ये काबिलियत है तुझ में!
क्यों? भागता है, इन मामुली चिंगारियों से
अभी तो सुलगते अंगारों पर चलना है तुझे!
मत हार हिम्मत अपनी,
कर पूरी ख्वाहिश अपनी!
तभी तो मिलेगी तुझे पहचान असली!
कोशिश करके तो देख,
मिलेंगी राहें अनेक!
रख भरोसा खुद पर,
आज पी ले सभी गमों को!
मिटा दें सभी कुप्रथाओं को,
और ला अपने होठों पर इक सच्ची मुस्कान!
बना ले अपनी इक अलग पहचान,
और दूसरों के लिए मिसाल!
(यह मेरी पहली कविता है जो की मैंने 15 वर्ष की उम्र 2016 में लिखी थी! जब मैं ठोड़ी अवसाद ग्रसत थी और सबसे दूर एक कमरे में बंद रहती थी)
काव्य दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं एवं ढेर सारी बधाई🎉🎊🎉🎊🎉🎊