पहले पढ़ने का शौक था अब लिखने की बिमारी है।ये कलम कभी न रुकी थी, न ही आगे किसी के सामने झुकने और रुकने वाली है।क्योंकि कलम की जिंदगी में साँसें नहीं होतीं।कवयित्री तो नहीं हूँ पर अपनी भावनाओं को कविताओं के जरिए व्यक्त करती हूँ।लेखिका भी नहीं हूँ लेकिन निष्पक्ष लेखन के माध्यम से समाज को आईना दिखाने का दुस्साहस कर रही हूँ।
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नारी सशक्तिकरण के लिए पितृसत्तात्मक समाज का दोहरापन
एक तरफ तो पुरुष समाज महिलाओं के अधिकारों और उनके सम्मान की बात करता है और वहीं दूसरी तरफ उनके रास्ते में खुद ही एक जगह काम करता है। जब समाज ...

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मैं आज आप लोगो को अपने गाँव की कुछ रूढ़िवादी विचारधाराओं से रूबरू करवाती हूँ ! हमारे गाँव में आज भी कुछ ऐसे बुद्धिजीवी लोग है जिनका मानना ...
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आप हमेशा मेरे❤में रहेगें!आप से मेरी हिम्मत है! किसी भी राष्ट्र का निर्माण एक माँ से आरंभ होता है , क्योंकि किसी भी राष्ट्र का...