तब ये कलम,
कोरे कागज़ को रंगीन करती है!
जब जब होता है
अभिव्यक्ति की आज़ादी पर वार,
तब तब कलम की तेज धार
शब्द रूपी बड़ों से करती है प्रहार!
जब मन में क्रोध का फूटता है अंगार,
तब कलम की तेज धार से
कोरे कागज पर
शब्दों का उमड़ता है सैलाब!
कभी दर्द तो कभी
दिल के अरमान लिखती है
कभी मधुर मुस्कान
तो कभी अश्रुधार लिखती है!
जब मन में उमड़ता है
सवालों का तूफान
तब ये कलम करती है जनसंचार!
जब करता है कोई उपहास
तब यह कलम बन तलवार का
रूप धारण करती है!
किए बिना रक्त रंजित घायल करती है!
कभी प्रफुल्लित होकर
कोरे कागज का मंत्रमुग्ध
करने वाला श्रृंगार करती है !
कभी प्यार की बौछार करती है,
तो कभी गुस्से का अंगार उगलती है
ये कलम हर बार कमाल करती है!
सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आदरणीय सर🙏
हटाएंगर्त से पहाड़ तक
जवाब देंहटाएंसुई से तलवार तक
हिम से अंगार तक
क्रोध से प्यार तक
कागज कलम के रिश्तें को परिभाषित करता उत्तम सृजन ।
अति सुन्दर स्वभाविक रचना !
धन्यवाद आदरणीय सर आपकी प्रतिक्रिया हमेशा मेरा हौसला बढ़ाती है🙏🙏
हटाएंमनीषा, तुम्हारी कलम तो कुछ ज्यादा ही कमाल करती है! बहुत अच्छा लिखती हो। अभी तुमने जो मेरे ब्लॉग पर टिपण्णी की थी सच मे दिल कोभूत सकूं मिला।
जवाब देंहटाएंदी आपकी प्रतिक्रिया देखकर मुझे बहुत खुशी हुई और मेरी प्रतिक्रिया से अगर आपको सुकून मिला यह मेरे लिए बहुत ही खुशी की बात है पर आपको लिखने में बहुत तकलीफ होती होगी इसलिए आप
हटाएंकृपया प्रतिक्रिया देने का कष्ट मत किया कीजिए! मैं तो बोल कर सारी प्रतिक्रियाएं टाइप करती हूं आपके डिवाइस में अगर ऐसी फैसिलिटी हो तो आप भी बोलकर ही मैसेज टाइप किया कीजिए इससे आपको तकलीफ नहीं होगी! और वक्त भी बहुत कम लगेगा! बस आप जल्दी से ठीक हो जाए और एकदम स्वस्थ हो जाए मेरी प्यारी दी!❤❤
प्रिय मनीषा तुम्हारी रचना बहुत शानदार है,अभी मैं भी ज्योति जी के ब्लॉग पर गई थी, तुम्हारी प्रतिक्रिया पर नज़र पड़ी बहुत सार्थक और सराहनीय थी ।परंतु तुम्हें क्या हुआ बच्चे । मन बड़ा बेचैन और बोझिल सा है, अभी अभी तो तुम्हें जाना है, ईश्वर तुम्हें हर मुश्किल और बीमारी से जल्दी उबारे ।मेरी हार्दिक शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंवैसे शायद तुमने मेरा मैसेज नही पढ़ा । कि तुम मुझे मेल पर संपर्क कर सकती हो । तुम्हें मेरा प्यार भरा स्नेह और आशीर्वाद ।
मैम आप घबराइए मत मैं ठीक हूं बस मेरी नर्वस सिस्टम में थोड़ी समस्या है इसलिए पूरे बायें शरीर में खासकर सिर आंख कान में पूरे टाइम दर्द बना रहता है लेकिन इतना नहीं कि सह ना सकूं!और यह मुझे पिछले 3 साल से इसलिए मुझे अब दर्द के साथ जीने की आदत सी हो गई है! और मुझे इससे कुछ खास फर्क नहीं पड़ता! बस दर्द बढ़े ना तो कोई समस्या नहीं! और हां मैंने आपको संपर्क फॉर्म से मेल किया था शायद आपने देखा नहीं या फिर पहुंचा नहीं है पर कोई बात नहीं मैं फिर से कर देती हूं! आपकी इस प्रतिक्रिया के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद! जब तक आप लोगों का प्यार ऐसे मिलता रहे मैं बड़ी से बड़ी बीमारी को भी मात दे दूंगी! आप चिंता मत कीजिए मैं बिल्कुल ठीक हूं!😊😊
हटाएं👍👍😀😀
हटाएंबस ये कलम चलती रहे और कमाल करती रहे । 👌👌👌👌
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आदरणीय मैम🙏🙏
हटाएंजब आवाज उठे कलमकारों के,तो पग डगमगाते है सरकारों के
जवाब देंहटाएंजब सच लिखने की ठानी हो, फिर फिक्र नहीं किसी धिक्कारों|
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बहुत अद्भुत रचना मनीषा जी
आभार🙏🙏🙏🙏
हटाएंआपकी क़लम इसी तरह चलती रहे और कमाल करती रहे, शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए शुभकामनाएँ !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद🙏🙏
हटाएंकलम तलवार बन जाए तो परिवर्तन निश्चित हो जाता है ...
जवाब देंहटाएंज़रुरत इसको पहचानने की है और सही इस्तेमाल करने की है ...
बहुत गहरी रचना ... सार्थक सन्देश है सब के लिए ...
धन्यवाद आदरणीय सर🙏🙏🙏
हटाएंबहुत सुंदर मनीषा जी कलम मन: स्थिति को लिखती हैं और सच लिखो तो क्या खूब लिखती हैं।
जवाब देंहटाएंशानदार सृजन।
धन्यवाद आदरणीय सर🙏🙏🙏
हटाएंप्रिय मनीषा, कलम की शक्ति तलवार से बढ़कर है। अच्छा लिखा तुमने। आज तुम्हारी सेहत के बारे में जानकर बहुत चिंता हुई। इतनी कम उम्र में ऐसी दिक्कत नहीं होनी चाहिए योग और प्राणायाम के साथ आयुर्वेद के जरिए ऐसी समस्या सहजता से s दूर हो जाती हैं। अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दो। पहला सुख निरोगी काया। प्यार और शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंइतनी प्यारी प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद🙏💕
हटाएंबीमारी उम्र नहीं देखती है!आप योग करने के लिए बोल रही है...!हां योग से थोड़ा बहुत फायदा होता है पर कुछ देर के लिए!और आयुर्वेद को भी दिखा चुके हैं पर कुछ फायदा नहीं!
हटाएंवैसे भी अब दर्द से दोस्ती-सी हो गई है!😊
पर आप चिंता मत करिए मैं ठीक हूं!😊❤💖